भारत में प्रचलित पौराणिक कथाओं के समान यूनान भी अनगिनत मिथकों से समृद्ध है जिनकी गाथा लेखक ने अपने अनूठे और बेहद रोचक ढंग से प्रस्तुत की है। इन कथाओं को पढ़ते हुए आश्चर्य होता है कि यूनानी और भारतीय पारम्परिक कथाओं में कितनी समानता है। क्या प्राचीन यूनानी और हिन्दू कथाओं में कोई गहरा तारतम्य था? क्या इसका कारण यह है कि दोनों सभ्यताओं का स्रोत इंडो-यूरोपियन है? इस पुस्तक में देवदत्त पट्टनायक अपनी भारतीय दृष्टि से यूनानी पारम्परिक कथाओं को देखते हैं और पाठकों के सम्मुख दोनों सभ्यताओं और मिथकों की समानताओं को उद्घाटित करते हैं।देवदत्त पट्टनायक पौराणिक विषयों के जाने-माने विशेषज्ञ हैं। पौराणिक कहानियों, संस्कारों और रीति-रिवाज़ों का हमारी आधुनिक ज़िन्दगी में क्या महत्त्व है, इस विषय पर वह लिखते हैं, व्याख्यान देते हैं और साथ ही चित्र भी बनाते हैं।
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