"लोहे की सड़सी"जय हो झिनकू भैया की। भौजी की अँगुली चाय की खौलती तपेली से सट गई, तो ज़ोर से झनझना गई भौजी, झिनकू भैया के बासी चाय पर। चार दिन से कह रहीं हूँ कि सड़सी टूट गई है, बनवा लाओ या नई बाजार से खरीद लाओ,पर सुनते ही नहीं। आखिर बिना सड़सी के तपेली कैसे उतरेगी, लो अब खुद ह