नवगीत // बंद बैग में
।। बंद बैग में ।।-------------------घर से दफ़्तर,दफ़्तर से घर,पल-पल बँटती रही ज़िन्दग़ी।जल्दी-जल्दी हाथ चलाती साथ घड़ी के मैं चलती हूँ।केवल सीमित होंठ दबाकर कहने भर को मैं हँसती हूँ।बस, रिक्शा,लोकल ट्रेनों में,पग-पग तपती रही ज़िन्दग़ी ।कागज़-पत