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गीत अँगड़ाई के दिन

7 मई 2018

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तृषा जगी

धरती की प्यासे हैं कूप

छज्जों पर नाच रही सोने सी धूप

गर्मी के दिन थोड़ी नरमी के दिन

आ गए सूर्य की,

ढिठाई के दिन


ठिलियों पर

बैठ गये आम्रफल रसीले

ढेर लगे जामुन के, महकते कलींदे

चटपटे अचारों, गुल्कंदों के दिन

जलजीरा शर्बत

सतुआई के दिन


छोड़ कर

किताबें हँसी गाँव भागी

तारों की गफलिया सुबह तलक जागी

भरे मर्तबान कुछ कहानी के दिन

अलसाई भोर

अमराई के दिन


नीम नीम

निखरा दुपहरी का रूप

नानी की तरुणाई फटक रही सूप

दहके पलाश की जवानी के दिन

बूढ़े बरगद की

अँगड़ाई के दिन

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बूँद-बूँद गंगाजल

13 जनवरी 2016
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💐☺आप दिल्ली , विश्व पुस्तक मेला में घूम रहे हैं, तो आपको डॉ.भावना तिवारी का काव्य-संग्रह 💐#बूँद-बूँद गंगाजल#उपलब्ध रहेगा यहाँ...👇🏾अंजुमन प्रकाशनहॉल-12A स्टॉल-337 🙏🏼

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हॉल-12A- स्टॉल-337

17 जनवरी 2016
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विश्व पुस्तक मेला ,दिल्ली में जा रही हूँ आज, आप भी आ रहे हैं क्या

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नवगीत // बंद बैग में

23 अप्रैल 2016
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।। बंद बैग में ।।-------------------घर से दफ़्तर,दफ़्तर से घर,पल-पल बँटती रही ज़िन्दग़ी।जल्दी-जल्दी हाथ चलाती साथ घड़ी के मैं चलती हूँ।केवल सीमित होंठ दबाकर कहने भर को मैं हँसती हूँ।बस, रिक्शा,लोकल ट्रेनों में,पग-पग तपती रही ज़िन्दग़ी ।कागज़-पत

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गीत

10 जून 2017
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टँगे-टँगे खूँटी पर आख़िर,कहाँ तलक़ हम सत्य बाँचते । न्यायालय की चौखट सच से दूर बड़ी थी। कानूनों की सूची धन के पास खड़ी थी। सगे-सगे वादी थेलचकर, मुंसिफ़ कब तक तथ्य जाँचते । आजीवन कठिनाई,दो रोटी का रोना।आदर्शों को रहे फाँकते चाटा नोना।भूखे-पेट पंक्ति से हटकर,कहाँ तलक़ हमपथ्

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कवयित्री विशेषांक हेतु रचनाएँ आमंत्रित

11 जून 2017
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*कवयित्री विशेषांक* के लिए रचनाएँ आमंत्रित------

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गीत अँगड़ाई के दिन

7 मई 2018
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तृषा जगी धरती की प्यासे हैं कूप छज्जों पर नाच रही सोने सी धूप गर्मी के दिन थोड़ी नरमी के दिनआ गए सूर्य की,ढिठाई के दिनठिलियों परबैठ गये आम्रफल रसीले ढेर लगे जामुन के, महकते कलींदेचटपटे अचारों, गुल्कंदों के दिन जलजीरा शर्बतसतुआई के दिन छोड़ कर किताबें हँसी गाँव भागी तारों की गफलिया सुबह तलक जागी भरे मर

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