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हास्य कविता

22 अक्टूबर 2018

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नया-नया टीवी जब घर में खरीदा गया , हाथ मे रिमोड ले पसर गया बाबूजी। चार बजे भोर से ही धर्म की बात सुन, आस्था की नदी में उतर गए बाबूजी । वस्त्र विहीन तन तरुणी को देख देख, केस रंगवा कर सवर गए बाबूजी। ईटीवी भीटीवी देखने के चक्कर में , ब्लड प्रेशर बढ़ा त गुजर गए बाबूजी

नेहाल कुमार सिंह निर्मल की अन्य किताबें

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प्यारी मां

22 अक्टूबर 2018
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मां है एक ममता की मूरत ,सबसे न्यारी इनकी सूरत ।एक हमारी माता धरती ,सारे जीवो के मन भर्ती, अन्न देकर ये हम जीवो के ,जीवन को खुशहाल बनाती ।भारत मां की बड़ी है शान ,लोग यहां के बड़े महान, वक्त पड़े तो जान भी देकर, रखेंगे हम इसका मान ।प्यारी प्यारी मां हमारी ,इसने दिखलाई दुनिया सारी, धूप छांव से हमें बच

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हास्य कविता

22 अक्टूबर 2018
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नया-नया टीवी जब घर में खरीदा गया ,हाथ मे रिमोड ले पसर गया बाबूजी। चार बजे भोर से ही धर्म की बात सुन, आस्था की नदी में उतर गए बाबूजी ।वस्त्र विहीन तन तरुणी को देख देख, केस रंगवा कर सवर गए बाबूजी। ईटीवी भीटीवी देखने के चक्कर में ,ब्लड प्रेशर बढ़ा त गुजर गए बाबूजी

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हिन्दी गीत

9 नवम्बर 2019
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हिन्दी गीतवन्दन करते उस हिन्दी की ,जो है सबका मान सखे।जय हिन्दी जय हिन्दी हिन्दी,जय जय हिन्दुस्तान सखे।खुसरो वाणी मे प्रकट हुई,दुनिया गाॅधी ने दिखलाया,कर कोमलता से पकड़ इसे,चलना हरिचन्द ने सिखलाया।है हिन्द तभी जब तक हिन्दी,कर हिन्दी पर अभिमान सखे।जय हिन्दी जय हिन्दी हिन्दी------कह कर इसे पुरानी हिन्

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गीत

21 दिसम्बर 2019
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बाली उमर मोरी चैन अब नाहीं पिया गए मोसे दूर सूनी सेज जब निरिखे नयन मोरी उठत जियरा मे पीरटूट गई मोरि आस सखी री छूटे पिया के प्यारछूट रही मेहंदी की लाली लौट सजन एक बारबाली उमर मेरी दिल में लगी थी पिया मिलन की आस पाऊ सजन है रात मिलन की पीहू नहीं मेरे पाससूनी पड़ी है सेज पिया की सुनी घर संसार लौट सजन ए

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गीत

4 जनवरी 2020
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हर युगों में रहे आबाद-ए-दोस्ती आबाद-ए-दोस्ती आवाज-ए-दोस्तीश्री कृष्ण सुदामा की दोस्ती है एक मिशालदोस्ती में रंक राजा एक ही समाननंगे पांव दौड़ आती है सरकार-ए-दोस्तीआबाद-ए-दोस्ती आवाज-ए-दोस्तीदोस्ती की लाज बचाते है अंग राजभाई धर्म जान के भी करते रहे वारजान दे के भी बचाए है जावाज-ए-दोस्तीआबाद-ए-दोस्ती आ

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दोस्ती

12 जून 2020
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हर युगों में रहे आबाद-ए-दोस्तीआबाद-ए-दोस्ती आवाज-ए-दोस्तीश्री कृष्ण सुदामा की दोस्ती है एक मिशालदोस्ती में रंक राजा एक ही समाननंगे पांव दौड़ आती है सरकार-ए-दोस्तीआबाद-ए-दोस्ती आवाज-ए-दोस्तीदोस्ती की लाज बचाते है अंग राजभाई धर्म जान के भी करते रहे वारजान दे के भी बचाए है जावाज-ए-दोस्तीआबाद-ए-दोस्ती आव

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