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चौपाई

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💞💞गीत (चौपाई)💞💞 १मनहर वचन गीत जब गाया।मन की आकुलता बतलाया।।कहीं प्रकाश तो कहीं है छाया।मनभावन भजन नहीं भाया।।२प्राण संकट में जब हैं पड़ते।अपने सब बेगाने हैं लगते।।दुख में सुमिरन सब हैं करते।उदार मन सब अपने हैं बनते।।३काँटों का ताज पहन हैं हँसते।सोना चाँदी ले क्या हैं करते।।क

गणतंत्र दिवस पर वीर सपूतों को सादर नमन, जय हिंद, जय माँ भारती......! "चौपाई मुक्तक "उड़ता हुआ भारती झंडा, भागा चीन देखकर डंडा। बहुत दिनों के बाद मिले तुम, सुन ले घटिया तेरा पंडा। वीर हमारे कुल के थाती, बच के रहना री उतपाती-मारेंगे रोने ना देंगे, फूटा चीन तुम्हारा भंडा।। महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी

सहज वचन बोली कर जोरी।चञ्चल चितवन चन्द्र चकोरी।मन अनंग रति प्रेम पियासा।भाव विभाव सहज दुर्वासा।चन्द्र योग द्वय लखि विज्ञानी।पूर्वोत्तर साहित्य भवानी।।अकथनीय गुण बरनि न जाई ।शब्द विशेष समय प्रभुताई।अवसर परम पुनीत सुहावन lशब्द विशेष शेष मनभावन llपावन दिवस सुहावन कैसे ?प्रेम सुमित्र चित्र लखि जैसे ।lशंख

रघुपति राघव राजाराम।पतित पावन सीता राम।।

"चौपाई मुक्तक"वन-वन घूमे थे रघुराई, जब रावण ने सिया चुराई।रावण वधकर कोशल राई, जहँ मंदिर तहँ मस्जिद पाई।आज न्याय माँगत रघुवीरा, सुनो लखन वन वृक्ष अधिरा-कैकेई ममता विसराई, अवध नगर हति कागा जाई।।-1अग्नि परीक्षा सिया हजारों, मड़ई वन श्रीराम सहारो।सुनो सपूतों राम सहारो, जस

चौपाई, शांत रससुनहु सखा तुम भ्राता बाली महाबली था हुआ कुचालीनजर धरी परतिया मवाली चहत वरण अनुजा बलशाली।सखा सहज कहती यह नीती पापी हने न पाप अनिती राखहु मन सुग्रीव कस भीती समय सहज धारहु परितीती।।करम धरम की गति बड़ न्यारी जो जस करे सो तस अधिकारीविधि के हाथ न धरी कुठारी क

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