shabd-logo

छंद ॒ चौपाई

13 दिसम्बर 2019

466 बार देखा गया 466

सहज वचन बोली कर जोरी।

चञ्चल चितवन चन्द्र चकोरी।

मन अनंग रति प्रेम पियासा।

भाव विभाव सहज दुर्वासा।

चन्द्र योग द्वय लखि विज्ञानी।

पूर्वोत्तर साहित्य भवानी।।


अकथनीय गुण बरनि न जाई ।

शब्द विशेष समय प्रभुताई।

अवसर परम पुनीत सुहावन l

शब्द विशेष शेष मनभावन ll

पावन दिवस सुहावन कैसे ?

प्रेम सुमित्र चित्र लखि जैसे ।l

शंखनाद कलियुग कलिकाला l

वातावरण पाक वन माला ll

जेहि -जेहि श्रवण कीन्ह तेहि काला l

परम गती पाए महिपाला l


राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी

rajkishor मिश्रा की अन्य किताबें

1

कृपाण घनाक्षरी [अंत्यानुप्रास ]

6 दिसम्बर 2019
0
1
0

कृपाण घनाक्षरी [अंत्यानुप्रास ]कृपाण अंत्यानुप्रास , छ्न्द गेयता विकाश, यति गति हो प्रवाह, आठ चौगुना विवेक।वर्ण वर्ण घनाक्षरी, कवित्त चित्र चाल से, अंत गाल गुरु लघु, भाव भावना प्रत्येक।अनुप्रास पाँच पुत्र, छेक वृत्य श्रुत्य अंत्य, संग में लाटानुप्रास , छ्न्द अलंकार ने

2

छन्द रूप घनाक्षरी

6 दिसम्बर 2019
0
1
0

रूप घनाक्षरी=आठ आठ आठ आठ , छन्द रूप घनाक्षरी,लघु दीर्घ यति गति, छ्न्द में प्रवाह सार ।शब्द भावना विधान , अंत गाल गुरु लघुशोध शोध वर्ण लिख, बत्तीस तुकांत प्यार ।सार प्यार देख कर, यामिनी द्रवित हुईचाँद रोहिणी नक्षत्र , पत्र पत्रिका विचार।रोहिणी सुअर्थ लाल , पाँच तारिका समूहदक्ष की सुता प्रबल, चंद्र प्

3

बिना महिष गौ कहाँ दही है

6 दिसम्बर 2019
0
0
0

मापनी - १२१२२ 12122=============================समझ नहीं है यही सही है lबिना महिष गौ कहाँ दही है llकरें मिलावट जहाँ विदेशी -कहाँ सुखी वे , जगत वही है llगजल लिखूँ मैं कहाँ जहाँ में ,सखे सिखाते विधा यही है llमहा मिलन मन विधा सुसंगम ,सुरभि सुधा ऱस सकल मही है llनहीं लिखे हम कभी कलम से ,कहाँ सुभाषित धरा

4

बसे आँख में श्याम सुंदर हमारेl

6 दिसम्बर 2019
0
2
0

मापनी--- १२२, १२२, १२२, १२२बसे आँख में श्याम सुंदर हमारेl सखी प्रीति पावन समुंदर सहारेl बसाया हिए ज्ञान गीता विधाता- सुधा सार संसार अंदर तुम्हारेl राजकिशोर मिश्र'राज' प्रतापगढ़ी

5

मानव महा प्रयाण

6 दिसम्बर 2019
0
1
0

मापनी- 221 2121 1221 212 (ताराजराजभासलगाराजभालगा) मिश्रितगीता क़ुरान प्रेम ज़रा जान लीजिएlमानव महा प्रयाण विधा ज्ञान लीजिएllदुनियाँ अजीब मित्र मकड़ जाल में फँसी,माया महल विशाल सुधी ठान लीजिएlधरती वियोग अम्बरविधना विचार है,नदियाँ मिले समुंदर स्वर मान लीजिएlमन मापनी विचित्र सखे धर्म वीरताकायर विचार धर

6

मुक्तक विधान

7 दिसम्बर 2019
0
1
0

'मुक्तक चार पंक्तियाँ भार सम,मुक्तक का सिद्धांत lपंक्ति तृतीयं मुक्तता , तजि सामंत पदांत llव्यंग्य और वक्रोक्ति में , साधें शेर सदृश्य lपंक्ति तृतीयं सार है , निष्कर्षं परिदृश्य llराजकिशोर मिश्र राज प्रतापगढ़ी

7

सतरंगी थी जिंदगी

7 दिसम्बर 2019
0
2
0

दोहावली मार्गशीर्ष की ठण्ड में , प्रियतम गए विदेश lपूस माघ रोता फिरे, फागुन दे सन्देश ll सतरंगी थी जिंदगी , सात वचन के साथ l मन की रंगत ले गए , मुझको किया अनाथ llसधवा मन विधवा हुआ ,कर

8

रोला छंद

11 दिसम्बर 2019
0
2
0

रोला- रोला छंद दोहा का उलटा होता है l विषम चरण में ग्यारह मात्रा एवं सम चरण में तेरह मात्रा के संयोग सेनिर्मित [११+१३=२४ मात्रिक ] लोकप्रिय रोला छंद है l रोला छंद में ११,१३ यति २४ मात्रिक छंद है दो क्रमागत चरण तुकांत होते हैं काव्य रम

9

छन्दस नगरी

12 दिसम्बर 2019
0
1
0

पावन दिवस सुहावन कैसे ?प्रेम सुमित्र चित्र लखि जैसे ।अवसर परम पुनीत सुहावन शब्द विशेष शेष मनभावन पावन प्रेम सनेह में,आनन्दित हरि गेह।चंदन वन सुरभित हुआ,पाया साधु सनेह। राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी

10

सनातनी विधाता छन्द

12 दिसम्बर 2019
0
1
0

सनातनी विधाता छन्द===============================१२२२ १२२२ १२२२ १२२२नज़ारे देखकर सावन बरसने मेघ आते हैं lशराफ़त देखकर उनकी तड़पते लोग जाते हैंllइमारत यह खड़ी कैसे पसीनें खून हैं उनके ,कयामत देखती दुनियाँ शराफ़त भूल जाते हैंllनज़ाकत वक्त का देखो कहर ढाते रहे नित दिन,तवायफ़ बन लुटी शबनम ग़रीबी को भुना

11

दोहा

13 दिसम्बर 2019
0
2
0

दोहा =प्रथम नमन है मंच को , दूजा मंच प्रधान lअग्र नमन कवि गण सखे , छन्दस ज्ञान विधान lपावन प्रेम सनेह में,आनन्दित हरि गेह।चंदन वन सुरभित हुआ,पाया साधु सनेह।भूषण सरिता भुवन तिथि ,कला पुराण बखान lकबिरा तुलसी जायसी , भक्ति प्रबल रसखान llनभ शशि नयना काल युग , कन्या ऋतु स्वर ताल lसिद्धि भक्ति दिगपाल शिव

12

छंद ॒ चौपाई

13 दिसम्बर 2019
0
2
0

सहज वचन बोली कर जोरी।चञ्चल चितवन चन्द्र चकोरी।मन अनंग रति प्रेम पियासा।भाव विभाव सहज दुर्वासा।चन्द्र योग द्वय लखि विज्ञानी।पूर्वोत्तर साहित्य भवानी।।अकथनीय गुण बरनि न जाई ।शब्द विशेष समय प्रभुताई।अवसर परम पुनीत सुहावन lशब्द विशेष शेष मनभावन llपावन दिवस सुहावन कैसे ?प्रेम सुमित्र चित्र लखि जैसे ।lशंख

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए