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कविता प्रेम

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मिला बेशक वो मुझसे हाँ मगर मिला ही नहीं,बहार आयी पर देखो प्रशून खिला ही नहीं ,दुवायें नाम उसके हमने कर दी यूँ अपनी,शिकायत यूँ तो है लेकिन कोई गिला भी नहीं।।।

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