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हिंदी दिवस

14 सितम्बर 2024
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"आज हिंदी दिवस है, समस्त सरकारी कार्यालयों में, और कुछ निजी कार्यालयों में भी, सभाएं बड़ी ही सुन्दर सजी हैं, बड़े बड़े लोग आएं हैं, प्रतीत होता है, विरानो में जैसे गुलशन समायें हैं, चेहरों

किराएदार

8 सितम्बर 2024
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"घर अपना, खेत और खलिहान छुड़ाकर हम से, नौकरी ने हमें किराएदार बना रखा है" ओम

किराएदार

8 सितम्बर 2024
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"घर अपना, खेत और खलिहान छुड़ाकर हम से, नौकरी ने हमें किराएदार बना रखा है" ओम

जय गणेश

7 सितम्बर 2024
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"जय गणेश, जय हो गणपति की, मंगलमूर्ति, सुजान, प्रथम पूज्य सारे देवों में, श्री गणेश भगवान, एकदंत हैं, दयावंत प्रभु, शिव-गौरी के लाल, विघ्नहर्ता, सुखकर्ता, सबका सदा करें कल्याण, पूजा करे जो गणना

जय श्री राम

6 सितम्बर 2024
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ना कोई बाधा, ना ही उलझन, ना मुश्किल, परेशानी, बाकी मन में रहे न उसके दुविधा का कोई नाम, ग्रह, नक्षत्र, स्वयं काल भी नतमस्तक है उसके आगे, जिसने मन में बसा लिया है पुरुषोत्तम श्री राम, लाख जतन कर को

शिक्षक

5 सितम्बर 2024
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"उलझन, परेशानी, समस्या से ग्रसित सदा ही मन होगा, ज्ञानशून्य धरती सारी और ज्ञानशून्य गगन होगा, शिक्षक से ही तो मुमकिन है; तेज शिक्षा का, प्रगति का, बिन शिक्षक तो अंधकारमय; जग होगा, जीवन होगा" ओम

अपना-सा वो लगे मुझको

25 जुलाई 2018
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"उसको जाने हुए हैं बस कुछ दिन, फिर भी अपना-सा वो लगे मुझको,वैसे बेशक ही वो हकीकत है, जाने सपना-सा क्यों लगे मुझको, उसकी बातों में बात कुछ तो है, उसकी हर बात भा गई मुझको, उसमे मासूमियत है कुछ ऐसी, पल में ही रास आ गई मुझको... "

रंजिशों के तमाम हल निकले

24 जून 2018
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छोड़ के राहें प्यारी चाहत की,जाने किस रास्ते पे चल निकले,तु गलत, मैं गलत, इन्ही सब में है खबर कितने अपने कल निकले ?लम्हें अनमोल कितने खो बैठें,किमती कितने अपने पल निकले ?इतनी सिद्धत से पाले हैं नफरत,कैसे उल्फ़त का कोई फल निकले,एक मौका दे एक -दूजे को,सब शिकायत की बर्फ गल निकले,ख्वाहिशे तो फन्ना हुई; रो

मोहब्बत का फ़साना क्या है ?

24 जून 2018
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हमने पूछा कि मोहब्बत का फ़साना क्या है,उसने बोला यूँ ही कुछ पल का याराना-सा है,दिल के बदले में जहाँ दर्द-ए-दिल हैं लेते लोग,मन को बहलाने का बेकार बहाना-सा है,बस किताबो में,कहानी में सिमट बैठा है जो,लोगों की याद में इक गुजरा जमाना-सा है,सच की धरती पे सिसक तोड़ चुकी दम कब की,ख्वाब में आज भी उल्फ़त वो सुह

क्या तुझे याद मैं भी आता हुं ?

24 जून 2018
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हो जो फुर्सत तो आ के मिल ले कभी, हर घड़ी तुझको ही बुलाता हुं,सोचता हूँ तुझे ही मैं अक्सर, गीत तेरे ही गुनगुनाता हुं,तु तो मशरूफ़ दूर बैठी है, तेरी यादों से दिल लगाता हुं,तेरी चाहत में जो भी लिखता हुं, तेरी तस्वीर को सुनाता हुं,यादें देती हैं तेरी जब दस्तक, खुद को भी मैं तो भूल जाता हुं,बेख़बर अजनबी मे

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