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कविताज़िन्दगी

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कितने अजीब होते हैं ख़ुशी के पलसब रखना चाहते हैं इन्हें संजो करपर यह मुट्ठी में पकड़ी रेत सेफिसलते ही जातें हैंकितनी अजीब होती हैं दूरियाँकभी यह बनाएँ नहीं बनतींतो कभी मिटाए नहीं मिटतींकितने अजीब होते हैं आँसुख़ुशी हो या ग़म, छलकते हैं तोमन हल्का कर जाते हैंकितनी अजीब है यह ज़िंदगीसब जीना चाहते हैंअ

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