नियति को सकारात्मक लो या नकारात्मक -मर्ज़ी तुम्हारी !पर कुछ वक़्त दो खुद को तो कारण, उद्देश्य स्पष्ट होंगे …राम वनगमन नहीं होता तो भरत के मन में भी मंथरा ज़हर घोलती सारे रिश्ते दरार में जीते सम्मान की सत्य की कोई गुंजाइश नहीं होती …सीता अपहरण न होता - तो हनुमान नहीं मिलते समुद्र में रास्ता नहीं बनता वि