न्यायपालिका का जो हाल पिछले कुछ वक्त से हुआ है उसे देखकर लगता है कि मुंशी प्रेमचंद ने इस वक्त के लिए ही कहानी पंच परमेश्वर लिखी थी. गांधीजी को भी इस न्याय प्रक्रिया पर कोई भरोसा नहीं था, उनका मानना सही था कि आज़ादी नहीं मिली बस राज परिवर्तन हुआ है? गांधीजी ने वकालत छोड़ दी
जुम्मनशेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भीसाझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और अलगू जब कभी बाहर जाते, तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खाना-पाना काव्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचा