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पंचपरमेश्वर

hindi articles, stories and books related to Panchparmeshwar


न्यायपालिका का जो हाल पिछले कुछ वक्त से हुआ है उसे देखकर लगता है कि मुंशी प्रेमचंद ने इस वक्त के लिए ही कहानी पंच परमेश्वर लिखी थी. गांधीजी को भी इस न्याय प्रक्रिया पर कोई भरोसा नहीं था, उनका मानना सही था कि आज़ादी नहीं मिली बस राज परिवर्तन हुआ है? गांधीजी ने वकालत छोड़ दी

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जुम्मनशेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भीसाझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और अलगू जब कभी बाहर जाते, तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खाना-पाना काव्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचा

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