एक एसडीएम की कहानी ---->> आज स्कूल में शहर की LADY SDM आने वाली थी क्लास की सारी लड़कियां ख़ुशी के मारे फूले नहीं समां रही थी ...सबकी बातों में सिर्फ एक ही बात थी SDM .. और हो भी क्यों न आखिर वो भी एक लड़की थी ....पर एक ओर जब सब लड़कियां व्यस्त थी SDM की चर्चाओं में ....एक लड़की सीट की लास्ट बेंच पर बै
चारदीवारी के सहारे पड़ा वो छत,बहुत सारे राज दिल में लेता है रख।हम वैसे तो किराएदार है या यूं कह सकते है बंजारा, तो ये बात तो मामुलन है कि हमारा अपना कोई घर या अपनी कोई छत नहीं पर जहां जहां हमने वास किया है अर्थात् जिस जिस घर में हम रहें है, उन सभी छतों की यादें इस दिल
यह उस समय की बात है जब ब्रह्मदत्त बनारस राज्य पर शाषण करते थे. उस राज्य में सुलासा नामक एक सुंदर वेश्या रहती थी. इसके अलावे उस क्षेत्र में सत्तुका नामक एक बलशाली डाकू भी रहता था, जो रात में अमीर लोगों के घरों में घुसकर लूटपाट करता था. एक दिन उस डाकू को पकड़ लिया गया. सुला
मुनाफ ने फेसबुक प्रोफाईल पर लिखा है कि मैं वो व्यक्ति हूं । जिसने समोसे बेचने के लिए नौकरी छोड़दी । मुनाफ ने एमबिए किया उसके बाद । वे विदेस चले गए । कई जगहों पर इंटरव्यू दिया । उसके बाद उनको गूगल के अंदर नौकरी भी मिल गई। लेकिन कुछ समय नौकरी करने के बाद मुनाफ को लगा कि वह इससे बेहतर कर सकता है। बस
सपना का जन्म और प्रारम्भिक लाईफ सपना का जन्म सन 1990 के अंदर हरियाणा के रोहत के अंदर हुआ था ।उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी वहीं पर हुई थी । सपना चौधरी एक मध्यमवर्ग परिवार से संबंधित है। और उनके पिता एक प्राईवेट कम्पनी के अंदर काम करते थे । सन 2002 के अंदर उनके पिता की मौत के बाद सारे घर का भार उनके क
एक बार सागर के अंदर काफी तेज तूफान आया और सागर की बहुत सारी मछलियां बाहर रेत पर निकल कर तड़प रही थी ।एक बच्चा यह देख तेजी सें दौड़ा और एक एक मछली को अंदर वापस फेंकने लगा । उसकी मां यह करते देख उसे बोली .... बेटा ऐसा करने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि इससे
जशोदा को दुकान खोलने की जल्दी है। सुबह सबसे पहले दुकान यदि खुल जाये तो दुकान खोलते ही अच्छी खासी बिक्री हो जाती है। उसे मालूम है, अस्पतालों में रात कैसे कटती है, मरीज के सा
अक्सर जब घर में कमाने वाला एक और खाने वाले अत्यधिक हों तो जो हाल होता है वही हाल सुधीर का था/ उसके अलावा, परिवार में माता -पिता,एक बेरोजगार भाई, एक अविवाहित बहन और एक तलाकशुदा बहन अपने दो-दो बच्चों के साथ एक ही घर में रहते थे / सभी के खर्च का जिम्मा सुधीर ही उठाता था / पिताजी रिटायर्ड हो चुके थे और
ईद का अर्थ ख़ुशी अर्थात खुशियों का पर्व डॉ शोभा भारद्वाज जब भी ईद आती है मेरी स्मृति में कुछ यादें उभर जाती हैं| हम कई वर्ष परिवार सहित ईरान में रहे हैं यह शिया बाहुल्य प्रदेश है लेकिन हम खुर्दिस्तान में रहते थे खुर्द सुन्नी मुस्लिम हैं | तीस दिन तक रमजान के महीने में रोजे रखने के बा
मैं उसे अक्सर देखा करता था। दिन में न जाने कितनी बार उसका वोमासूम चेहरा मेरी नजरों की राह गुजरता था। कभी वो घर की बाहरदरी में झाड़ू लगातेनजर आती तो कभी बाहर कचरा डालने जाया करती थी। जब वो हमारे पड़ौस में रहने आई थी, तब उसकीउम्र यही कोई बारह या तेरह की होगी। अंजाने माहौल में ढलते-ढलते उसे छ: माह
दुखों की पोटलीएक बार एक गांव के सभी लोग अपने अपने दुखों के कारण भगवान से बहुत नाराज हो गए वह भगवान से प्रार्थना करने लगे कि उनके दुखों को दुर करें वरना वो भगवान काहे का ?लोगें की फरियाद सुन आकाश से भविष्यवाणी हुई हे गांव वासियों ऐसा करें आज रात के तीसरे पहर में सब लोग अपने अपने दुखो को एक कागज में
आजकल हमारे देश में नौजवानो के लिए साहित्य से लगाव ही नहीं |कविता,कहानी क्या है जानते ही नहीं |न लेखक को पहचानते हैं न कवि को |साहित्य से दूर ही रहते हैं वो तो आजकल अश्लील वीडियो ,अश्लील मूवीज एंव भोजपुरी के अश्लील गाने एंव फिल्मो को देखना पसंद करते हैं इन सबका हमारे देश मे तेजी से वृद्धि भी हो रहा ह
एक सुखद और सकारात्मक खबर जो अक्सर नहीं बन पाती है हैडलाइन !बात बात पर ५६ इंच नापने वाले ,टमाटर-दाल तौलने वाले और 15 लाख गिनने का इंतज़ार करने वालों के लिए यह खबर शायद महत्व्पूर्ण नहीं ! मगर इसका महत्व उनसे पूछो जो अपने घर से दशकों तक विस्थापित रहे ! कैराना आदि के लिए संघर्ष करने वालों के लिए इसमें सन
बड़ी धूूमधाम से दीपिका की शादी हुई थी। इतने मेहमान आए थे कि पूरे समाज में इस शादी की मिसाल दी जाने लगी थी। पिताजी बड़े अफसर थे, सो जो भी मेहमान आए महंगे गिफ्ट लेकर आए थे दीपिका के लिए।लेकिन दीपिका की शादी होने के बाद से ही उसका पति दहेज के लिए ताने देता रहता था। दीपिका के पिता ने शादी में सब कुछ दिया
एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता भटक गया..तभी उसने देखा, एक शेर उसकी तरफ आ रहा है..।कुत्ते की सांस रूक गयी.."आज तो काम तमाम मेरा..!" उसने सोचा..Management ka lesson yaad aa gaya aurफिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखि..वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा..और ज
जुम्मनशेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भीसाझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और अलगू जब कभी बाहर जाते, तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खाना-पाना काव्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचा
! एक लङकी थी रात को आँफिस से वापस लोट रही थी तो देर भी हो गई थी पहली बार ऐसा हुआ ओर काम भी ज्यादा था तो टाइम का पता ही नही चला वो सीधे बस स्टेशन पहुँची वहाँ एक लङका खङा था वो लङकी उसे देखकर डर गई की कही उल्टा सीधा ना हो जाए तभी वो लङका पास आया ओर कहा बहन तू मौका नही जिम्मेदारी हे मेरी ओर जब तक तुझ