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सुनयना का सब्र"

hindi articles, stories and books related to Sunayna ka sabra"


"छलका सुनयना का सब्र" सुनयना रोज-रोज के खिटखिट से तंग आ चुकी थी, झल्लाकर चीख पड़ी ससुराल के वाहियात ताने सुन- सुनकर। आखिर उसके अंदर भी तो इंसानी दिल है। उसे भी प्यार पुचकार की जरूरत पड़ती है जिसे शायद ही ससुराल में किसी ने महसूस किया हो। कुछ दिन तो मायके से करियावर की आलोच

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