' तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ', मोहम्मद रफ़ी जी के गाने की ये पंक्ति भले ही किसी हसीना के सन्दर्भ में हों पर ताजमहल को देखते ही मन में सवालों के बादल कुछ इसी तरह से उमड़-घुमड़ करते हैं. शायद ताजमहल की खूबसूरती को बयान करने के लिए अल्फ़ाज़ कम पड़ जाएँ. पर आश्चर्यजनक सच ये