आसमान में खिले रातरानी के उस एकलौते फूल को पिरो देता महबूब के गेशू में, सभी प्रेमियों की तरह, मेरी भी आरजू है।
ये जानते हुए भी कि टूट जाते हैं सभी ख्वाब पानी के बुलबुलों की तरह और शेष रह जाता है सिर्फ सिसकती हसरतों का कब्रगाह ॥ देखता हूं ख्वाब क्योंकि मर जाना है एकदिन सिर्फ इस भय से कोई जीना नहीं छोड़ देता।।।गोरी के गुलाबी गाल और लरजते लाल अधर मदहोश करते हैं मुझे किन्तु दिख जाय यदि वह घिनौना कंकाल जिसने गोरी के उन्नत उभारों को इतना मोहक आकार दिया है। विक्षुब्ध हो उठेगा मन मेरा और सारी उत्तेजना क्षण मात्र में हवा हो जाएगी। कारण मैने गोरी के दोनों रूपों को एक साथ और एक सी नजर से नहीं देखा ।।