सबसे बड़ा साधक जीवन में अनेक प्रश्न ऐसे आते हैं जिनका उत्तर कहीं नहीं मिलता है । जैसे सबसे बड़ी साधना क्या है ? सबसे बड़ा साधक कौन है ? ऐसे प्रश्नों के उत्तर किताबों में नहीं मिलते हैं , किस्से कहानि
दिवस अंतिम मम जीवन का कब होगा, कहाॅ होगा किन हालातों में बीमारी से दुर्घटना से लगता उस दिन सांस घुटने लगेंगीं धङकन कमजोर शरीर असहाय वाणी बंद मन का क्या ठिकाना क्या सोच रहा होगा नहीं, नहीं, नहीं सच तो
आजाद कब हुआ मैं कई बार अग्नि क्रोध की दग्ध कर गयी मन को आजाद कब हुआ मैं लोभ के बंधन भी कहाॅ टूट पाये मुझसे आजाद कब हुआ मैं मोह को प्रेम समझता भूल करता रहा हूं आजाद कब हुआ मैं कुछ कुरीतियों से जकङा
जीवन क्या है , एक रेत का घर है एक लहर आई और बहाकर ले गई सपनों की तरह बनते बिगड़ते हैं घर मगर कोशिशें कभी बेकार नहीं जाती सारी जिंदगी लग जाती है घर बनाने में एक धक्के से भरभराक
मन में विचारों का तूफान सा उठा है दिल में जज्बातों का कोहराम मचा है दिमाग फंस गया है समस्याओं के भंवर में झंझावातों से ये मन अशांत हो गया है जीवन में आंधी तूफान जब भी आते हैं&n
पथ में पत्थर बहुत मिलेंगे विघ्न रास्ता हर पल रोकेंगे पत्थरों से बचकर चलना है इन्हीं पत्थरों से पुल बनाना है यहां सब रोड़े अटकाने बैठे हैं पराया माल सटकाने बैठे हैं
एक साधु घने जंगल से होकर जा रहा था। उसे अचानक सामने से बाघ आता हुआ दिखाई दिया। साधु ने सोचा कि अब तो उसके प्राण नहीं बचेंगे। यह बाघ निश्चय ही उसे खा जाएगा। साधु भय के मारे काँपने लगा। फिर उसने सोचा कि
चिंता संत के जीवन में भी होती है और चिंता संसारी के जीवन में भी होती है मगर दोनों में एक बहुत बड़ा फर्क भी होता है और वो ये कि संत परमार्थ के लिए चिंतित रहता है और संसारी स्वार्थ के लिए।संसारी स