शीशा क्या, बताएगा खूबसूरती तुम्हारीवक्त हो तो देख लेना आखें में हमारी साहिबा
देखते ही देखते शादी को बस अब एक हफ्ता ही बचा था, और दोनों परिवारों के घरों में उत्साह का माहौल था। शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। शर्मा निवास में रिया ने सभी को एकजुट कर रखा था।"भाभी का लहंगा सबसे सु
कुछ दिनों के बाद, अरुणिमा के घर पर प्रभात और उसके परिवार वाले रिश्ता पक्का करने के लिए पहुंचे। यह दिन एक नई शुरुआत का प्रतीक था, लेकिन दोनों परिवारों के बीच एक हल्की सी नर्वसनेस भी थी। अरुणिमा के घर म
कुछ ही दिनों बाद प्रभात और अरुणिमा के परिवारों की पहली औपचारिक मुलाकात का दिन तय हो गया था। यह मुलाकात प्रभात के घर पर रखी गई थी। अरुणिमा की माँ पहले ही अपनी बेटी को आश्वस्त कर चुकी थीं कि उनके लिए उस
रविवार का दिन था। सूरज की हल्की किरणें खिड़की से छनकर अंदर आ रही थीं। प्रभात सुबह जल्दी उठ गया था, लेकिन उसके चेहरे पर बेचैनी साफ नजर आ रही थी। चाय का कप लिए वह बालकनी में खड़ा था, उसकी नजरें कहीं दूर
कुछ दिन बाद, प्रभात ने अरुणिमा को फोन करके वादे के अनुसार मुलाकात करने के लिए शनिवार की शाम को पार्क में मिलने के लिए बुलाया । हर बार की तरह, प्रभात एक-दूसरे से बिछड़ने के बाद भी एक खास एहसास के साथ
अरुणिमा और प्रभात के बीच मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता गया और दोनो ने एक दूसरे के मोबाइल नंबर भी ले लिए थे। उसके बाद कभी वे कैफे में कॉफी पीते, कभी पार्क में लंबी बातें करते। दोनों के बीच की नजदीकियां धी
अगला साल आया, और मनाली की घाटी फिर से वही ठंडी हवाओं और गुलाबी आभा से भर गई थी। प्रभात और अरुणिमा दोनों ही अपने-अपने जीवन में कुछ बदलावों से गुजर चुके थे, लेकिन एक वादा, जो उन्होंने एक साल पहले किया थ
छू लेता शायद मैं भी उचक कर चांद कोखुदा ने ख्वाहिशें तो दी मगर हाथ छोटे रखे
सरिता एक घरेलू महिला थी ,सरीता के चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान होती थी। एक ऐसी मुस्कान, जिसे देखकर कोई भी कह सकता था कि वह दुनिया की सबसे खुशहाल महिला है। लेकिन उसकी मुस्कान का सच सिर्फ वही जानती थी। सरी
अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और नासिक जाने के लिए तैयार होता है। उधर सागर भी तैयार होकर प्रेम को फोन करता है। प्रेम फोन उठाकर: "हां सागर, बोलो।"सागर: "नासिक चलने के लिए तैयार हो?"प्रेम: "हां, बिल्
प्रेम: "तो चलो मिली, आज मेरे घर चलो। मेरी माँ के हाथ का खाना खाओ, तुम्हें मज़ा आ जाएगा।"सागर: "हाँ मिली, आंटी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, तुम्हें ज़रूर चलना चाहिए।"मिली: "लेकिन..."प्रेम: "लेकिन-वेकिन क
थोड़ी देर बाद सागर के पापा भी ऑफिस आ जाते हैं और अनुज से पता चलता है कि प्रेम आज सागर सर के साथ उनकी कार में ऑफिस आया था। इतना सुनने के बाद वे गुस्से में सागर के पास जाते हैं, जहां प्रेम पहले से ही मौ
एक चांद आसमान में, दूसरा जमीं पर खिला,दोनों की रौशनी से, जग सारा हीरा बन गया।आसमानी चांद की चमक, जमीं के चांद का प्यार,इन दोनों के मिलन से, सजी रात की बहार।सितारे भी शर्मा गए, इस रोशनी के आगे,एक चांद
प्रेम: इसका मतलब हुआ कि मुझे पीटी टीचर अच्छे लगते थे।सागर: मतलब तुम भी...प्रेम: नहीं, मेरा उनके प्रति बस एक खिंचाव था।सागर: मतलब?प्रेम: वो अच्छे थे, उनसे बात करना मुझे पसंद था। लेकिन उनके लिए कुछ ज़्य
सागर: मैं डरता हूं कि अगर बता दूंगा तो तुम्हें खो दूंगा।प्रेम: मतलब?सागर: अभी इस बात का सही समय नहीं है। जब सही समय आएगा तब बता दूंगा।प्रेम: सागर, तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे कोई लड़का किसी लड़की से यह
अगले दिन प्रेम सुबह के नौ बजे तक सो रहा होता है कि प्रिया जोर से आवाज लगाती है: "उठ जाओ आलसी, ऑफिस को लेट हो जाओगे वरना।"प्रेम हड़बड़ाकर उठता है और प्रिया से कहता है: "अरे आज क्या मैं फिर लेट उठा हूं?
अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और मां के पास जाकर कहता है, "मां, आपको आपके जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई! आप हमेशा खुश रहो और मेरा हमेशा ध्यान रखो।"प्रेम की मां कहती हैं, "बेटा, मैं कब तक तेरा ध्यान रखू
तेरे साथ कितनी हसीन थी ज़िंदगीअब तेरे बिना बस सज़ा है ज़िंदगीतेरे साथ कितने मज़े में थी ज़िंदगीअब तेरे बिना बड़ी बेमज़ा है ज़िंदगीकभी तूने ही संवारी थी मेरी ज़िंदगीफिर क्यों तूने उज़ाड़ दी मेरी ज़िंदग
प्रेम घर आकर अपने कमरे में बैठा था और सागर के साथ हुई बातचीत के बारे में सोच रहा था। उसे यह अहसास हो रहा था कि सागर सिर्फ एक सख्त बॉस नहीं है, बल्कि उसके अंदर भी संवेदनशीलता और भावनाएं हैं। उधर, सागर