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सामाजिक

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बरसों से सहेजा ख्वाब,सूखे पत्ते-सा उड़ जायेगा। सोचा नहीं था, इक आंधी के झौंके-से,दो हंसों का जोड़ा बिछुड़ जायेगा...!        आह ! इंदु.. तुम भी ना ! ऐसे, ऐसे कौन बिछुड़ता

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

अब तक आपने पढ़ाशशांक को एक बार के लिए कुछ समझ नहीं आया कि ये क्या कर रहे है 🙁 , अचानक से वो लोग आकर उठा लिए थे उसे 😄 ।  फिर उसे याद आया कि लोग दुल्हे को ऐसे उठा कर ले जाते है .....😄😄 अब

छत्तीसगढ़ की वीरांगना बिलासा केवट जिनके नाम पर बसा है बिलासपुर शहर…छत्तीसगढ़ में बिलासा एक देवी के रुप में देखी जाती हैं । कहते हैं कि उनके ही नाम पर बिलासपुर शहर का नामकरण हुआ। बिलासा केवट की एक आदमक़

सिकंदर को हराने वाली कठगणराज्य की राजकुमारी कार्विका के बारे में जानिये सच।राजकुमारी कार्विका सिंधु नदी के उत्तर में कठगणराज्य की राज्य की राजकुमारी थी । राजकुमारी कार्विका बहुत ही कुशल योद्धा थी। रणन

शरत-हमारी सगाई पक्की हो गई थी।  हमारे घर खुशियों के रंगों से सराबोर हो गया  था।रिश्ते करने वाले लोगों के चले जाने के बाद भी हमारे कुटुम्ब, परिवार और गांव के लोग बैठकर आपस में बातें कर रहे थे

शरत और सोनू दोनों ही अपनी बाल्यावस्था की जिंदगी जी रहे थे।शरत- इस समय हमारी पढ़ाई करने का समय था और पढ़ाई के साथ-साथ खेल कूद और मौज मस्ती करने का समय था।लेकिन जिस समाज में हम रहते हैं वह समाज हमारे वि

अब तक आपने पढ़ा— ओ ... हेलो ... दुल्हा ये है तुम लोग नहीं ... भैया इसे ( शशांक के तरफ इशारा करके बोला ) रेडी होने को बोल कर गए है । तुम लोग क्यों इतना उड़ रहे हो ।       अब आग

अब तक आपने पढ़ावो अपने सोच कि दुनियां से बाहर आया और फिर  फ्रेश होने चला गया । थोड़ी देर में वो अच्छे से तैयार होकर नीचे आया ।अब आगे      प्रशांत को नीचे आते देख कर उसकी मॉम उसके ड

सच तो इश्क़ और फिज़ा है।                                                 &n

*कंगना* हाल ही में अर्जुन से शादी करके आई कंगना अपने ससुराल में अपनी सासूंमां सुशीला जी के साथ बडी खुश थी, कारण दोनों ही एक - दूसरे को सम्मान और प्यार करती थी, कंगना और सुशीला जी के बीच इतना अच्छा ता

माँशाम के साढे़ छह..... पौने सात बजे का समय रहा होगा। एक अनीश नाम का लड़का, दुकान पर आता है, गांव का रहने वाला था, वह चतुर व चालाक था।उसका बातें करने का तरीका गांव वालों की तरह का था, परन्तु बहुत ठहरा

मध्यप्रदेश के रायसेन किले से जुड़े संघर्ष में 701 राजपूतानियों के जौहर को आज 490 साल पूरे हो गए हैं। मुगलों के आक्रमण के दौर में जौहर की इस कहानी के बारे में कम लोग ही जानते हैं।छह मई 1532 को रानी दुर

माँ : जिसके बिना हमारा अस्तित्व नहींमाँ एक मिश्री घुला शब्द है जिसकी व्याख्या नहीं हो सकती । वह एक ऐसी शख्सियत है जो हर कीमत पर संतान का साथ देती है। स्नेह और देखभाल का इससे बड़ा दूसरा उदाहरण देखने मे

अब तक आपने पढ़ाआदि अपने दोस्तो से हट कर एक कोने में खड़ा हो गया और अनिका को देखने लगा । अब आगेअनिका को भी आज थोड़ा अजीब लग रहा था , वो समझ नहीं पा रही थी , कि आदि के देखने से आज उसे ऐसे क्यों हो

घर घर की कहानी रचना एक परिवार के हर मनुष्य के किरदार ओर उनकी कमजोरियों को बताती है । “हर समाज और हर घर में समाज के बड़े बुजुर्ग लोगों के द्वारा जो भी कह दिया जाता था। वह पत्थर की लकीर बन जाती थी” उस स

“मानव से परिवार बना,मानव से बना घर-बार। मानव से जाति धर्म बने,मानव से बने रिश्तेदार। समाज बने हैं मानव से, समय ने इनको बदल दिया। गांव,शहर,तहसील,खंड बने,प्रांत,देश से विश्व बना दिया”। मनुष्य एक सामाजिक

एक लड़की अनजानी सीपरसो रात्रि करीबन साढ़े ग्यारह बजे मे आॅफिस से घर को बाइक से निकला ही था की कुछ ही दूरी पर एक लडकी नजर आई सलवार सूट पहने मदद का हाथ लिए इशारे से... मैने बाइक रोकी तो पास से टैक्

एक था ड्रैगन, बहुत बड़ा, बहुत ही ताकतवर। जमीन पर चलता था, हवा में उड़ता था, मुंह से आग उगलता था। ऐसा बताया था, एक बुजुर्ग ने। जिसकी हर बात थी, पत्थर की लकीर। पहले भी खोल चुका था, वो कई राज। आ

एक बार एक शहर में एक घर था जो बहुत पुराना था। इस घर में एक रिश्तेदार की मौत के बाद से अनुभव किए गए थे। कई लोगों ने इस घर में भूतों की आवाज सुनी थी और इस घर के पास से गुजरना डरावना महसूस करते थे। एक द

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