एक बाल कहानी
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यहां खडी़ आकाश को क्या ताक रही हो? जिज्ञासा की मां ने पूछा। "मां आकाश के परे क्या है?"। मुझे क्या पता ? मैं वहां गयी थोडे़ हूं ,। मां मुझे जाना है आकाश के परे। "वहां क्या करेगी जाकर?"। मुझे जानना है क
वह एकटक धरा को निहारा करता । बेइंतहा प्यार जो करता था उससे । उसकी एक ही ख्वाहिश थी कि उसकी धरा साफ ,स्वच्छ और प्रदूषण रहित हो ,हरी भरी रहे।पर अपनी प्रियतमा धरा की दुर्दशा देख वह बहुत दुखी था।अपनी आंखो
वह बरतन धोता जा रहा था होटल की रसोईं में और आसमान को निहारता जा रहा था। उसे आसमान निहारना बहुत अच्छा लगता। उसे अपने पिता के प्यार की गोद न मिली थी। वह कब के गुज़र गये थे उसे याद भी नहीं ,वह बहुत छोटा