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आसमान की ख्वाहिश

10 सितम्बर 2022

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वह एकटक धरा को निहारा करता । बेइंतहा प्यार जो करता था उससे । उसकी एक ही ख्वाहिश थी कि उसकी धरा साफ ,स्वच्छ और प्रदूषण रहित हो ,हरी भरी रहे।पर अपनी प्रियतमा धरा की दुर्दशा देख वह बहुत दुखी था।अपनी आंखों मे मोटे मोटे दुख के बादल लाकर आंसुओं की बारिश ही कर सकता था। और उसके बसमें था ही क्या? वह देखता कि कैसे मनुष्यों ने उसकी धरा को बेहाल कर दिया है । लोग ज्यादा उपज होने के लिये धरती में कैसी कैसी विषैली रासायनिक खाद डाल उसे प्रदूषित कर रहे हैं। आबादी इतनी बढा़ रहे हैं कि भयावह स्थिति उत्पन्न हो रही है। घर बनाने के लिये जंगलों को काट रहे हैं जिससे वातारण मे आक्सीजन की मात्रा कम हो रही । जानवर जंगल कटने से शहरों मे आने लगे हैं । ज्यादा से ज्यादा वाहनों का प्रयोग कर रहे जिससे वातावरण में उन वाहनों का छोडा़ विषैला धुआं फैल रहा है जिससे खुली हवा में सांस लेना दूभर हो रहा और उसकी वजह से बीमारियां भी बढ़ रही हैं। नदियों में कपडे़ धोकर,शव प्रवाहित कर नदियों को दूषित कर रहे हैं। नदियों का जल समुद्र में जाकर उसमें रहने वाले जीवों के लिये संकट पैदा कर रहे हैं। मांसाहार को अपनाकर जीवों की हत्या का कारण बन रहे हैं जिससे पारिस्थिकी तंत्र भी प्रभावित हो रहा है। लोग आपस में युद्ध कर उसकी धरा को लहू स्नान कराते हैं।
वह यह सब देखकर बहुत दुखी रहता । वह सोचता कि
बडे़ बडे़ कारखानों से निकलता हुआं उसे भी तो प्रभावित कर रहा है। ओजोन परत को खतरा हो गया है।
एक दिन उसने धरा से अपने इशारों मे कहा कि तू क्यों ऐसी संतानों को ढो़ती है जो तेरे विनाश का कारण बनते जा रहे हैं? " क्या करूं? मां हूं ना"।धरा बोली।  तो? मां अगर अपने बच्चे को प्यार करती है तो उसे उनकी गलतियों पर सबक सखाना भी जरूरी होता है।
तुम्हें उन्हें सबक सिखाना ही होगा। मेरी ख्वाहिश है कि तुम और मैं दोनो साफ ,स्वच्छ व प्रदूषण रहित रहें।ये हमारे भविष्य का सवाल है। और धरा को आसमान की बात समझ आ गयी और शुरू हो गयीं प्राकृतिक आपदायें,बाढ़,भूस्खलन, बादलों के फटने के कारण तबाही जो आज भी जारी है। मगर क्या इससे मनुष्य सबक लेगा? क्या आसमान की ख्वाहिश वो समझ कर पूरी करेगा?आपको क्या लगता है?
मुझे तो नहीं लगता।

प्रभा मिश्रा ' नूतन '

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और वह चल दी आकाश की ओर

10 सितम्बर 2022
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यहां खडी़ आकाश को क्या ताक रही हो? जिज्ञासा की मां ने पूछा। "मां आकाश के परे क्या है?"। मुझे क्या पता ? मैं वहां गयी थोडे़ हूं ,। मां मुझे जाना है आकाश के परे। "वहां क्या करेगी जाकर?"। मुझे जानना है क

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आसमान की ख्वाहिश

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वह एकटक धरा को निहारा करता । बेइंतहा प्यार जो करता था उससे । उसकी एक ही ख्वाहिश थी कि उसकी धरा साफ ,स्वच्छ और प्रदूषण रहित हो ,हरी भरी रहे।पर अपनी प्रियतमा धरा की दुर्दशा देख वह बहुत दुखी था।अपनी आंखो

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और पूरी हुई उसकी आसमान की ख्वाहिश

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वह बरतन धोता जा रहा था होटल की रसोईं में और आसमान को निहारता जा रहा था। उसे आसमान निहारना बहुत अच्छा लगता। उसे अपने पिता के प्यार की गोद न मिली थी। वह कब के गुज़र गये थे उसे याद भी नहीं ,वह बहुत छोटा

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