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मां तुम ही हो

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

6 अध्याय
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1 पाठक
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मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूं--'मां तुम ही हो'। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । मेरी इस कहानी में दिखाया गया है कि सौतेली मां भी सगी मां की तरह बच्चे को प्यार दे सकती है ये एहसास एक व्यक्ति को होता है । बहुत खूबसूरत कहानी आपको पढ़कर अच्छा लगेगा । पसंद आए तो अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया अवश्य दें 😊🙏 

man tum hi ho

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पुस्तक के भाग

1

मां तुम ही हो -भाग एक

19 सितम्बर 2024
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"साध्वी मां,,,, एक लावारिस पार्थिव देह अपने अंतिम संस्कार की बाट जोह रही है......" संयासिनी के वेश में एक बालिका ने आकर हाथ जोड़कर, सूचित किया था।आश्रम के एक कक्ष में स्वस्थ काया की , गौर वर्ण, लम्बे

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मां तुम ही हो --भाग दो

19 सितम्बर 2024
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"महाराज आपकी अनुमति हो तो आज से हर लावारिस शव का अंतिम संस्कार मैं करना चाहूंगी,बस मुझे इसमें किसी की मदद चाहिए होगी जो मुझे न केवल सूचित करे कि लावारिस शव मिला है अपितु वो शव को श्मशान घाट तक ला सके

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मां तुम ही हो --भाग तीन

19 सितम्बर 2024
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अकस्मात उसके कंधे पर किसी ने पीछे से हाथ रखा था ....उसने मुड़कर देखा तो सुजाॅय के गुजरे हुए पिता के मित्र का बेटा था ।"परिमल तुम ...."" चाची भीतर चलिए मैं सारी सूचना ले आया हूं...." परिमल ने फुसफुसाते

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मां तुम ही हो --भाग चार

19 सितम्बर 2024
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कोई जल लाओ शीघ्र...... वो सुजाॅय के पास बैठते हुए तेज स्वर में बोलीं फिर अगले ही क्षण याद आया कि मैं तो यहां अकेले आई थी!!तेजी से उठते हुए वो श्मशान घाट से बाहर पानी लेने दौड़ गई थीं और कुछ क्षण

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मां तुम ही हो --भाग पांच

19 सितम्बर 2024
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"हस्ताक्षर तो तुझे करना ही है ,या तो ऐसे ही कर दे या फिर हम चारों मिलकर तेरा हुलिया बिगाड़े तब कर ,सोच ले कैसे करना पसंद करेगा !!.....""छोड़ो मुझे,,, पैर हटाओओओ ,, मैंने कहा ना कि नहीं करूंगा तो नहीं

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मां तुम ही हो -भाग छह -अंतिम भाग

19 सितम्बर 2024
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"साध्वी मां ये चार और अनाथ बच्चे मिले हैं तो इन्हें भी यहां ले आया हूं.." एक संयासी चार मासूम छोटे , उदास बच्चों के साथ खड़ा उनके सिर पर हाथ फेरते हुए उनसे बोला।"अच्छा किया, इनकी भी बाकी अनाथ बच्चों क

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