आखिर क्यों ??
जो किशोरवर्ग की हर नव युवती के मन में उठते झंझावातों के सवालों का जवाब तर्क-वितर्क के साथ सरल भाषा-शैली में कहानी के रूप में तारतम्यता के साथ तर्क की कसौटी में कस , सुलझाती हुयी ,
हमारे समाज में दो विचारधारा के लोग हैं एक आधुनिक कहे जाने वाले जो हर संस्कार संस्कृति को अंधविश्वास कह नकारते हैं , दूसरे लकीर के फकीर जो देश काल के हिसाब से अपने को बदलना ही नहीं चाहते हैं , आज के बच्चों को गलत ठहराते हैं
इसी संदर्भ में यह कथाक्रम यदि इन दोनों का सुमेल हो जाए तो नजारा कुछ और ही सोने में सुहागा की चमक जैसा होगा । पर केवल तर्क की कसौटी से कसने के बाद ।
आखिर क्यों ?