- जिनका संकल्प दृढ़ है वे आलोचनाओं की परवाह नहीं करते हैं।
- निर्मल मन वाले ही आलोचनाअों से घबराकर घुटने टेक देते हैं।
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आलोचना से एक नई राह ही प्राप्त होती है जिससे राह के कंटक दूर हो जाते हैं।
- आलोचना से छिपे हुए दुर्गण उभर आते हैं।
- जो आलोचना से बिना डरे अडिग रहते हैं वे अपना लक्ष्य पा लेते हैं।