कोई पका रहा है और कोई पक रहा है,
हम तो बस पकने-पकाने का मज़ा लेते है.
आम पक जाए तो मीठा वरना खट्टा है,
कोई सियासत आमों पे भी कर लेता है.
चूसना आमों का भी एक हुनर है " आलिम" ,
यह आम भी बड़ा ज़ालिम है मेरे यारा,
गरीबों को कहाँ आम दस्तयाब होता है. (आलिम)