महफ़िल ए दुनियां से चले जाय दूर कही,
इस जहाँ में यू बिन तेरे कुछ रखा नहीं.
चाह में तेरी गुज़ार दी यूँही एक उम्र हमने ,
तेरी चाहत ने हमे कही का रखा ही नहीं.
तफ़रीए दुनियां लिख दिए अफ़साने अपने,
अफ़साने लिखने का भी अब जी करता नहीं.
कौन कहता है "आलिम "को इंतज़ार नहीं ,
इंतज़ार तो है पर यार को खबर ही नहीं. (आलिम)