"मुट्ठी भर रेत" काव्य संग्रह में इंद्रधनुषी रंगों से रंगी अनेकानेक रचनाएं हैं। कहीं मां के आंचल की सुगंध है,तो कहीं देश-भक्ति का रंग दिखाई देता है। कुछ रचनाएं समाज को ललकारती हैं, तो कुछ प्रेम से पुचकार कर उन्नति के पथ पर अग्रसर करती हैं।
मुश्किलें अपने साथ विश्वास की कमी लेकर आती हैं। हमारे भीतर का संकट मुश्किलों का सामना करने की हमारी क्षमता को हर दिन कम करता जा रहा है। यही कारण है कि मौसम थोड़ा सा भी हमारे विपरीत हो, तो हम घबराने लगते हैं। हमें लगता है कि अब क्या होगा। हम मुश्किलों से बाहर निकलने का रास्ता नहीं ढूंढ पाते हैं,जबकि होता वह हमारे भीतर ही है।
संकट कैसा भी हो उसका स्वभाव रेत के टीले की तरह होता है। रेत के टीले हमेशा के लिए नहीं होते, वह हवा के झोंकों साथ बदलते रहते हैं। हमें बस अपने मन को शांत, स्थिर, धैर्यशील रखना है।
ऐसा होता तो कैसे होता! काश यह न हुआ होता। जिंदगी ऐसी बातों से नहीं चलती। वह ठोस यथार्थ से आगे बढ़ती है। जो है, सो है। जो हुआ है, उसके किनारे-किनारे पर चलकर ही आगे बढ़ा जा सकता है।
संकट के समय में गहरा विश्वास होना ही सबसे सुखमय जीवन शैली है। ख्वाब बुनिए, तरक्की के नक्शे बनाइए लेकिन जीवन में संतोष, स्नेह और प्रेम की कमी नहीं होनी चाहिए।
यह समय भी बीत जाएगा, ठोस जीवन की खूबसूरत जीवन शैली है। इसमें वह क्षमता है कि यह आपको डिप्रेशन, उदासी और तनाव की ओर बढ़ने से बड़ी सहजता से रोक सकती है।
इसी के साथ ही यह "मुट्ठी भर रेत" काव्य संग्रह मैं आप सभी साहित्य प्रेमी पाठकों को समर्पित करती हूं।
मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आपको हरेक रचना प्रेरणा और आनंद प्रदान करेगी।
असीम शुभकामनाओं के साथ-
आपकी अपनी लेखिका-
डॉ.निशा नंदिनी भारतीय
आर.के.विला
बाँसबाड़ी, हिजीगुड़ी,
गली- ज्ञानपीठ स्कूल
तिनसुकिया, असम 786192
nishaguptavkv@gmail.com
समर्पित- सभी राष्ट्र भक्तों और साहित्य प्रेमियों को समर्पित
जय हिंद
डॉ. निशा नंंदिनी भारतीय की अन्य किताबें
हिंदी साहित्य को समर्पित शिक्षाविद एवं साहित्यकार डॉ. निशा गुप्ता उर्फ (डॉ.निशा नंदिनी भारतीय) का जन्म रामपुर(उत्तर प्रदेश) में 13 सितंबर 1962 में हुआ। आपने साहित्य के साथ-साथ शिक्षा जगत व समाज सेविका के रूप में भी एक अलग पहचान बनाई है। आपने तीन विषयों ( हिन्दी,समाजशास्त्र व दर्शनशास्त्र) में एम.ए तथा बी.एड
की शिक्षा प्राप्त की है। 40 वर्षों से निरंतर आपका लेखन चल रहा है।
लेखन क्षेत्र में आपने लगभग हर विधा पर अपनी कलम चलाई है।
कविता,गीत,उपन्यास,कहानियां, यात्रा वृतांत, जीवनियाँ तथा बाल साहित्य आदि अनेक विधाओं में आपकी लेखनी का प्रभाव माना गया है। आपके साहित्य से समाज व राष्ट्र में एक नई जागृति आई है।
आपकी अधिकतर रचनाएं राष्ट्रप्रेम की भावना से ओतप्रोत है।
विश्वविद्यालय स्तर पर आपके साहित्य को कोर्स में पढ़ाया जा रहा है। आपके साहित्य पर एम.फिल हो चुकी है और कुछ शोधार्थी शोधकार्य भी कर रहे हैं। 30 वर्ष तक आप शिक्षण कार्य करते हुए लेखन व समाजसेवा से भी जुड़ी रही हैं।आपकी अब तक विभिन्न विषयों पर 6 दर्जन से भी अधिक पुस्तकें, विभिन्न प्रतिष्ठित प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं। आप की पुस्तकें भारतीय समाज को दिशा निर्देशित कर प्रेरित करती हैं। यही कारण है कि आपकी अनेकानेक पुस्तकों पर आपको देश-विदेश की विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है। आपके सराहनीय कार्यों के लिए अब तक आपको साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा लगभग 4 दर्जन सम्मान एवं पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ.निशा गुप्ता
समाज सेविका के रूप में भी अपने कर्तव्य का निर्वाह बड़ी निष्ठा और ईमानदारी से करती हैं। आपने अपने जीवन में रचनात्मकता को विशेष महत्व दिया है,यही कारण है कि देश की प्रतिष्ठित संस्था "प्रकृति फाउंडेशन" द्वारा प्रकाशित "इंडियन रिकॉर्ड बुक" में आपके नाम को तीन बार चयनित किया गया है। जिसके लिए आपको " Indian record book" द्वारा मेडल तथा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया है। इसके अतिरिक्त आप अनेकानेक प्रतिष्ठित सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर भारतीय समाज को एक नई दिशा प्रदान कर रही हैं। आप विभिन्न संस्थाओं में प्रतिष्ठित पद पर भी आसीन हैं। "विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ" द्वारा आपको विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है।महान संत "कबीर" पर आपने शोध कार्य किया है।
आपके सामाजिक मूल्यों पर आधारित अनेक आलेख,गीत, कथा-कहानियां देश-विदेश की लगभग 5 दर्जन पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं, और निरंतर हो रही हैं। आपकी कुछ पुस्तकों का अनुवाद अन्य भारतीय भाषाओं में भी हो चुका है। इसके साथ ही आपकी रचनाओं, कहानियों, नाटक आदि का प्रसारण रामपुर,असम तथा दिल्ली आकाशवाणी से भी हो चुका है। दूरदर्शन के "कला संगम" कार्यक्रम में आप का साक्षात्कार भी लिया जा चुका है।D