”आया" “मां” ( लघु कथा )
रुप सिंग घर से निकले और तेज़ी से कार चलाते हुए साउथ दिल्ली डीडीए आफ़िस की ओर रवाना हो गए। आज ही सड़क निर्माण के लिए एक विगज्ञापन आया था । इस ठेके को रुपसिंग हर हाल में हासिल करना चाहते थे । पिछले 10 वर्षों से रुपसिंग जी डीडीए में ठेकेदारी कर रहे हैं और इन दस वर्षों में वे बाक़ी सारे ठेकेदारों को पीछे छोड़ कर सबसे सफ़ल ठेकेदार बन चुके हैं । वे डीडीए के सारे कर्मचारियों व अधिकारियों के सबसे चहेते ठेकेदार के रुप में पहचाने जाने लगे हैं । उनकी कार्यशैली का मूल मंत्र है कि सबको खुश रखना चाहे जो भी विधि अपनानी पड़े ।। अत: जो अधिकारी जैसा भी डिमान्ड करता है । उसे वे हर हाल में पूरा करते थे ।
कुछ दिनों पहले ही डीडिए में नये सीइओ साहब आए हैं “ राजकुमार साहब” वे बड़े ही रंगीन मिजाज के हैं । आज रुपसिंग उनसे ही मिलने जा रहे थे । आधे घंटे बाद रुपसिंग जी जब राजकुमार साहब के आफ़िस से निकले तो बेहद खुश नज़र आ रहे थे ।
रुपसिंग जी की बीबी बाबी सिंग भी बड़े ही मार्डन खयालों की थी । साथ ही वह बेहद फ़ैशन परस्त थी । महंगी महगी चीज़ें खरीदना उसका शौक था । रुपसिंग जी साहब लोगों की पार्टियों में अपनी बीबी को भी अक्सर ही ले जाते थे । उसकी पत्नी बाबी सिंग नये लोगों के बीच भी बहुत जल्द ही घुल मिल जाती थी । उसे नये लोगों का साथ बहुत अच्छा लगता था । दोनों का एक बेटा था बजरंग सिंग । जिसकी उम्र 14 वर्ष की हो चुकी थी वह 8 क्लास का स्टूडेन्ट था । चूंकि बजरंग सिंग की जननी बाबी सिंग अक्सर घर से बाहर पार्टियों में व्यस्त रहती थी और अपने बच्चे को बिल्कुल भी समय नहीं देती थी न ही उसका समुचित खयाल रखती थी । इक प्रकार से वह पूरी तरह से अपने मात पिता के द्वारा निगलेक्टेड पुत्र था।
अत: बजरंग की देखभाल के लिए बचपन से एक आया को रखा गया था । उस आया का नाम अंजनी देवी था । शुरुवात में तो रुपसिंग जी के घर में अंजनी और उसका पति पवन दोनों काम करते थे और उनके घर के पास स्थित एक झोपड़ी में किराए से रहते थे । पर कुछ वर्ष पूर्व जब अंजनी पति का निधन हो गया और वह विधवा हुई तब से वह रुपसिंग के घर में ही रहती थी , वहीं खाती पीती थी और वहीं सोती थी । अंजनी देवी का इस संसार में अब कोई रिश्तेदार नहीं था । उसकी उम्र लगभग 40 वर्ष की थी । अंजनी से बजरंग का बेहद लगाव था और अंजनी भी बाबी सिंग के बच्चे को एक मां जैसा ही प्यार करती थी । बजरंग भी उसे अपनी माता से कम नहीं मानता था और उसके प्रति एक बेटे जैसा व्यहार करता था । एक शाम रुपसिंग और बाबी सिंग जी के साथ डीडीए के नए सीइओ राजकुमार उनके घर आये । वे तीनों शराब के नशे में थे। उन तीनों को नशे में देखकर बजरंग की भौंवें तन गई । वह गुस्से से भरा अपने कमरे में खामोशी से बैठा रहा ।
वे तीनों घर के अंदर आए तो रुपसिंग और बाबी सिंग ने जमुना को थोड़ी देर में खाना लगाने के लिए कहते हुए अपने कमरे के अंदर चले गए । उधर डीडीए का सीइओ राजकुमार ड्राइंग रूम में बैठकर एक पैग और बनाकर पीने लगा । इस बीच जैसे ही अंजनी ड्राइंग रूम में पानी लेकर आई तो राजकुमार उसके साथ बदतमीज़ी करने लगा । यह देखकर अंजनी डर के मारे चीखने , चिल्लाने लगी । उसकी आवाज़ रुपसिंग और बाबी सिंग जी की कानों में गई होगी पर वे दोनों अपने कमरे के अंदर ही बंद रहे । लेकिन जब अंजनी की चीख बजरंग की कानों को सुनाई दी तो वह दौड़ते हुए ड्राइंग रुम पहुंचा और जैसे ही उसने देखा कि एक आदमी उसकी माता समान आया के साथ बदतमीज़ी कर रहा है तो वह गुस्से से भर गया और पास ही रखे फूलदान को उठाकर पूरी ताक़त के साथ उस आदमी के सर पर मार दिया । सर पर चोट लगते ही वह आदमी बिना तड़फ़े वहीं ढेर हो गया । इसके बाद भी बजरंग का गुस्सा शान्त नहीं हुआ और उसने दूसरे कमरे की आलमारी में रखी पिताजी की पिस्तौल को निकाल लाया और पिताजी के कमरे में घुसकर अपने माता पिता के उपर गोलियां चला दीं । उसके माता पिता भी गोलियां लगते ही बिना चीखे ढेर हो गए।
14 वर्षीय बजरंग सिंग को गिरफ़्तार कर लिया गया । उसे अदलात से सज़ा सुनाई जाएगी या बाल सुधार गृह में 4 वर्षों के लिये भेजा जाएगा ।
लोगों को यह तो समझ में आ रहा था कि अपनी मां समान आया को बचाने बजरंग सिंग ने कुकर्मी राजकुमार को मारा , यहां तक तो शायद ठीक था। लेकिन इसके बाद उसने अपने माता पिता को क्यूं मारा यह सबके समझ से परे था ?
( समाप्त )