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अभिशेक शरण गुप्त के बारे में

हिंदी हमारी मातृभाषा है! संस्कृत देववाणी है! इसे सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं ! यह सिद्ध है, किन्तु इसकी सिद्धि से समाज को अवगत कराना ही हम हिंदी पुत्रों का दायित्व है! हिंदी को सर्वकालिक प्रासंगिक एवं सर्वोपयोगी बनाना और बनाये रखना ही हमारा हिंदी के प्रति सेवा-समर्पण होगा.!

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अभिशेक शरण गुप्त की पुस्तकें

अभिशेक शरण गुप्त के लेख

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6 अक्टूबर 2017
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वाह रे नव वर्ष

1 जनवरी 2017
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अभी कुछ दिन बाद 23 जनवरी को हम सुभाष चंद्र बोष जी की जयंती मनाएंगेउनके क्रन्तिकारी विचारो का वर्णन करेंगे जिस वैचारिक प्रबलता से उन्होंने रानी विक्टोरिया के जन्मदिन की मिठाई को कूड़े के ढेर में फेंक दिया और उसे ग्रहण कर लेना दासता की मानसिकता माना हम दिक्भ्रमित हो चुके है .............. मार

रघुपति राघव राजा राम ... वास्तविक भजन

26 नवम्बर 2016
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रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीता राम सुन्दर विग्रह मेघश्याम, गंगातुलसीशालग्राम भद्र गिरीश्वर सीताराम,भगत-जनप्रिय सीताराम जानकी रमणा सीताराम, जय जय राघव सीताराम उस समय का सबसे लोकप्रिय भजन था , जनता के मन और जिह्वा पर रच बसा था आज भी जब सुनाई पड़ता है मन मोह लेता है परिवर्तन किसने किया क्यू

हिंदी भाषा

25 नवम्बर 2016
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हिंदी भाषा न केवल विचारों केअदन-प्रदान का माध्यम है..... हिंदी भाषा में संस्कार संचरित होते हैं | आइये हिंदी भाषी बने - विश्व को संस्कारों की और ले चलें.|

माँ सरस्वती वन्दना

20 नवम्बर 2016
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या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दितासा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की है और जो श्वेत वस्त्र धार

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