अभिशेक शरण गुप्त
common.bookInlang
common.articlesInlang
हिंदी हमारी मातृभाषा है! संस्कृत देववाणी है! इसे सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं ! यह सिद्ध है, किन्तु इसकी सिद्धि से समाज को अवगत कराना ही हम हिंदी पुत्रों का दायित्व है! हिंदी को सर्वकालिक प्रासंगिक एवं सर्वोपयोगी बनाना और बनाये रखना ही हमारा हिंदी के प्रति सेवा-समर्पण होगा.!