"उफ! कितनी गर्मी है!काश थोड़ा शीतल जल मिल जाता ।" गर्मी से परेशान हो वह बोला ।
"चारों तरफ धूप ही धूप है ।न कोई छायादार वृक्ष दिख रहा है न ही ऐसी कोई जगह जहाँ पल भर ठहर कर शीतलता का अनुभव कर सुस्ताया जा सके ।"
"समझ नहीं आ रहा क्या करूँ?"इतना कह कर उसके साथी गर्म मौसम की तपिश से परेशान हो ताप को कोसने लगे।
तभी उनकी नज़र एक आरामगाह पर पड़ी जहाँ यात्री गण सुस्ता रहे थे । सब भाग कर वहाँ जा पहुँचे और आराम से पसर कर बाहर की तपिश को कोसते हुये अन्दर शीतलता की सराहना करने लगे।
उन लोगों की गतिविधियों को देख पास बैठे बुजुर्ग से रहा नहीं गया । मुस्कुराते हुये वो बोल पड़े ।
"अगर ताप न हो तो शीतलता का एहसास कहाँ से होगा।इसलिए जैसे परिवार को शान्ति और सुकून की जिंदगी देने के लिये मुखिया को अक्सर मन को न भाने वाले कठोर फैसले लेने पड़ते हैं ।वैसे ही प्रकृति को भी शीतलता का एहसास कराने के लिये सूर्य की तपिश का सहारा लेना पड़ता है ।
इरा जौहरी लखनऊ मौलिक अप्रसारित व अप्रकाशित