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हमारे विचार
#चुम्बन_एक_आत्मीय_स्पर्श
बच्चे के जन्म लेते ही आत्मीयजन सबसे पहला चुम्बन उसे दे कर उसे अपने दिल के पास होंने का एहसास देते हैं ।यहाँ हमनें माँ इसलिये नहीं कहा कि बहुत से ऐसे हालात होते हैं जब माँ बच्चे के जन्म के समय बेहोशी के आलम में होती है ।और हमारे भारतीय समाज में आज भी जहाँ संयुक्त परिवार होते हैं वहाँ सभी परिवारी जनों के सामने नया बना पिता बच्चे को एकदम से गोद लेने में झिझकता है।भावना यही कि नवांगतुक से सभी की कोमल भावनायें जुड़ी होतीं हैं और वह सबका होता है ।
जैसे प्यार तो सिर्फ प्यार होता है चाहें वह इंसान या जानवर या कोई बेजान वस्तु ही क्यों न हो । उसी तरह जिससे हम प्यार करतें हैं उसे प्यार भरा आलिंगन व चुम्बन देते भी हैं और साथ ही उससे लेने की अभिलाषा भी रखते हैं ।
अक्सर एक प्यार भरा चुम्बन बहुत से वैमनस्य के भाव भी चुटकी में मिटा देता है ।
अब जब आज बात चुम्बन की हो रही है तो एक बात और है कि यही चुम्बन यदि किसी बेजान वस्तु को दिया जाये तो कोई बात नहीं पर जीवधारी के साथ बिना उसकी मर्जी के देने पर तनाव गुस्सा व क्रोध का कारण बन दुश्मनी का कारण भी बन सकती है ।
मतलब वही कि चुम्बन एक पर उसमें निहित भाव भिन्न प्रभाव पैदा करते है।
तो आज चुम्बन दिवस पर हमारा तो यही कहना है कि दिल में भावना अच्छी होनी चाहिए किसी के भी लिये ।वैसे आजकल तो वैश्विक बीमारी से बचने के लिये चुम्बन लेने व देने दोनों से ही बचना चाहिये ।यदि कभी प्यार को प्रगाढ़ करनें के लिये चुम्बन आवश्यक हो ही जाये तो हवाई चुम्बन आजमायें।🙂🙂
इरा जौहरी लखनऊ मौलिक