श्रावण मास में शिव शक्ति आएं।
सावन फुहारों ने अभिषेक किए।
विष्णु चतुर्मास हेतु सोने चले गए।
जग को आशुतोष के हवाले किए।।
पूरा एक महीना शिव शम्भू के नाम।
भक्त करें प्रतिदिन शिव शक्ति का पूजा- पाठ।।
जटा में गंगा माथे पर चन्दा।
गले सर्प माल और विष पी कहलाएं नीलकंठ।।
जनमेजय और बासुकि नागों के देवता।
करें कल्याण व रक्षा जन -जन की जय बोलता।।
नागपंचमी पर्व पर सर्पों की होती पूजा।
दूध,लावा चढता और कुछ ना दूजा।।
गुड़िया बन पीटी जाती।
भाईयों संग हंसी ठिठोली।।
तरह -तरह का पकवान है बनता।
श्रावणी मास का मेला लगता।।
कांवड़िया कांवड़ ले शिव मंदिर जाते।
बम- बम- बम भोले सप्रेम बोलते जाते।।
नागपंचमी पर्व है अद्भुत।
घर- घर शिव परिवार का श्रृंगार है सब कुछ।।
नागों के देवता करिए सबकी रक्षा।
हमारी भक्ति से प्रसन्न हो सर्व कल्याण की दे दो भिक्षा।।