मनुष्य सृजन शील प्राणी है और हमेशा कुछ नया आयाम बनाने में लगा रहता है। सभ्यता, संस्कृति, परंपरा, रीति रिवाज,रहन सहन, धर्म कर्म पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करता है उसे हम उस परिवार, समाज की धरोहर कहते हैं उसी प्रकार मेरे मन में शब्द उमड़ घुमड़ कर कविता और कहानी रचते हैं। उन्हें लयबद्ध कर अपने पाठकों हेतु धरोहर स्वरूप में प्रस्तुत कर रही हूं और अपने परिवार, समाज को धरोहर के रूप में अपनी भावनाएं दे रहीं हूं इसे आप संभाल कर रखें तथा मुझे याद करें।।
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