मेरे शब्दों की रसधार है हमराही।
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श्रावण मास में शिव शक्ति आएं।सावन फुहारों ने अभिषेक किए।विष्णु चतुर्मास हेतु सोने चले गए।जग को आशुतोष के हवाले किए।।पूरा एक महीना शिव शम्भू के नाम।भक्त करें प्रतिदिन शिव शक्ति का पूजा- पाठ।।जटा में गं
मेरी शान है तिरंगा।मेरी जान हैं तिरंगा।।मां भारती की पहचान तिरंगा।हिंदूस्तानियों की आन तिरंगा।।वीरों की चाहत है तिरंगा।शहादत के तन से लिपट इतराएं तिरंगा।।हवाओं से खुशबू दुनिया में फैलाएं तिरंगा।
जीवन की जलधार है दोस्त।सुख- दुख में ऐतबार हैं दोस्त।।फूलों की खुशबू है दोस्त।खुशियों की पहचान है दोस्त।।जिंदगी में मिठास है दोस्त।नमकीन और चटाखेदार स्वाद है दोस्त।।चेहरे की खिलती मुस्कान है दोस्त।दुनि
आजादी का अमृत महोत्सव। पचहत्तरवें वर्ष को देश मना रहा है पर्व।। वीर रणबांकुरे कुर्बानी दे कर आजादी का अमृत बरसाया। गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया और मां भारती का गौरव बढ़ाया।। आजादी है हमको जान से प्य
जब काल मनुज पर छाता है। बुद्धि -विवेक मर जाता है।। हरिश्चंद्र जैसा सत्यवादी राजा काल से कहां है बच पाया। सुदामा जैसा सदपुरुष निर्धनता से नहीं पिंड छुड़ा पाया।। काल का वक्त जब आता है। सब कुछ तहस- नहस क
दोस्ती है इक अनमोल गहना। जो भी मन से जुड़ा उसने निभाया दोस्ताना।। दोस्ती से अलंकृत हो होती नहीं दुनिया की परवाह। उन्मुक्त आकाश में विचरण करते दोस्त होते हैं हम बेपरवाह।। दोस्ती है जीवन का सुंदर सपना।