इस शब्द का मतलब सभी अच्छी तरह से समझाते है |
लेकिन ये शब्द सिर्फ झारखण्ड ,यूपी ,एमपी ,राजस्थान ,बिहार ,छ.ग ,उत्तराखंड ,दिल्ली ,हरियाणा आदी जैसे राज्यों के हिंदी माध्यम के शिक्षक लिए है
| ये बच्चो को बताते है
की हिंदी हमारी मातृभाषा है , तो अगर हम साउथ इंडिया, गुजरात,बंगाल,महाराष्ट्र,पंजाब,असोम,ओड़िसा आदी प्रदेशो के शिक्षकों से पूछते है , तो ये वहा के
क्षेत्री भाषा को मातृभाषा और हिंदी को राजभाषा (भारत राज संघ की ) बताते है | मै आम जनता से पूछना चाहता हु की जिस माँ के गोद में जन्म
लिया और जिस क्षेत्र का भाषा बचपन से बोला और समझा उस भाषा का हमारे जिन्दगी और
देश में कोई स्थान नहीं है | उपर जिन नौ प्रदेशो का नाम जिक्र किया वहा के शिक्षक किताबी
बोल पर ज्यादा बोलते है
जब तब वो अनबुझ रहते है, तब तक तो ठीक है जब वो पढ़ने लगते है उनको उनके शिक्षक
किताबी बोल पढ़ने लगते है , की हिंदी हमारी मातृभाषा तब से और जब वो शिक्षक बन जाते है
वो अपनी दिमागं के हर एक नस में बैठा लेते है की हिंदी ही हमारी मातृभाषा है | जिस क्षेत्र से वो
सम्बन्ध रखते है वहा की क्षेत्री भाषा चाहे वो राजस्थानी हो अवधी,मगही,मैथिलि,संथाली, छतीसगढ़ी या हो भोजपुरी उनका इन भाषाओ के प्रति कोइ दाईत्व
नहीं बनता इन्हे वो अपनी मातृभाषा न मानते है या न बच्चो को पढ़ते है | अगर हम पुराने इतिहाश
को देखते है, तो यह पता चलता है की
मूलतः संस्कृत साथ में पाली और प्राकृत से ये भाषाये निकली है | और येही भाषाये आगे
चल कर हिंदी जैसी राष्ट्र भाषा को उद्भव करती है | यहाँ जितनी शब्द लिख रहा हु वो हिंदी के विपक्ष में नहीं है
बस मै इतना ही समझाना चाहता हु की लोग अपनी क्षेत्र के भाषा
को उपेक्षित न करे उसे मातृभाषा की दर्जा दें |
मातृभाषा का यह सही मतलब है की जो भाषा हम अपने माँ बाप
अपने आसपास से सिखाते है उसे ही मातृभाषा
कहते है | थोड़ी सी दिमाग लगा कर सोचा जाये तो यह पता चलता है की राष्ट्र भाषा किसी की भी
मातृभाषा नहीं हो सकती है | हिंदी देश की राष्ट्र भाषा है इस भाषा को देश में सबसे अधिक
समझा जाता है एवं यह किसी भी क्षेत्र की क्षेत्रियता नहीं हो सकती है|एक वेब साईट से पता चला है की
बंगाल भाषा भोजपुरी की सहायक भाषा “मगही” से अलग हुआ है|
इंसान की पहचान दुसरे देश प्रदेश में उसकी भाषा से होती है |
मै एक बार असम के शिक्षक से बात कर रहा था बातों बातों में
भाषाओ पर बहस होने लगी , मै उनसे कहा की आपकी राष्ट्रीयता क्या है उन्होंने कहा देश
भारत और भाषा हिंदी तो आपकी मातृभाषा क्या है उन्होंने कहा असमिया | उस समय मुझे समझ आया
की शिक्षक अगर जगरूप हो तो पीढ़िय हर तरह से जगरूप होती है |
मै इस लेख में शिक्षको पर एक दाग लगाया है , इस से मुझे खुशी नहीं
हो रही है मुझे बहुत खेद के साथ कहना पढ़ रहा है की ऊपर के दिए नौ राज्य के शिक्षक
को भाषीय समझ में अ ज्ञान ता छाया हुआ है |
नवम्बर २०१४ में जब बनारस गया था तब बी.एच.यू के शिक्षक से पूछा की यूपी में भोजपुरी अधिक मात्र में उपयोग करने वाले लोग है
इसके बावजूद भी इसको अस्तित्व में नहीं लाया जा रहा है क्यों , वो शिक्षक ने कहा की
यहाँ दो तिन भाषा बोली जाती है , तब मैंने कहा की गुजरात में भी दो तिन तरह की भाषा बोली
जाती है
इसके बावजूद गुजरती अधिक मात्र में समझने वाले लोग है तो
उसे अस्तित्व में लाया गया है | वो शिक्षक ने कहा की इस मस्ला पे सरकार को धयान देना चाहिए , मैंने कहा आपकी
जिमेवारी नहीं बनती है की आप भोजपुरी को अस्तित्व में लेन के लिए आवाज उठाये , शिक्षक ने कहा की समय
किसके पास है और इससे खाने को थोड़ी मिलता है | सोचने वाली बात है की अपनी माँ को सम्मान देने के लिए वहा
के लोगो के पास समय नहीं है , इतनी घटिया सोंच रखने वाले शिक्षक है|
विवाह में शिक्षको की घटिया सोंच तब पता चलता है , जब शिक्षक हिंदी
लाब्जो का उपयोग हर तरह के बातों में करते है मानो की अगर भोजपुरी या सहायक भाषा
उपयोग करेगे तो उनके क़ाबलियत में कमी हो जाएगी |
बलिया के रहने वाले एक मास्टर जो वेस्ट बंगाल में हिंदी के
मास्टर है | एक दिन उनसे बात हो
रही थी उनका छोटा बच्चा आया और उनसे पूछा के ‘पापा इ के हS’ उन्हों ने अपने बच्चे को जोर से डाटा और बोला की तुम येही
पढ़ते हो हिंदी में बोलना चाहिए न | ये सोच एक भोजपुरी भाषी प्रदेश के मास्टर की है जिनका मानना
है की बच्चो को भोजपुरी के बजाय हिंदी में बात करना सिखाया जाय तो बच्चे बहुत आगे
जायेगे | इस तरह के लोग सरकार
के आज्ञा का इंतजार करते है की कब वो इजाजत दे और हम अपनी ‘माई के माई कही सन’ |
उन जैसे शिक्षकगणों से मै पूछना चाहता हु की आज वो जिस
पोस्ट पर है वो बचपन से हिंदी बोलते आये है |
आज जो आप लोग अपने बच्चो के बारे में सोच रहे हो क्या आपकी
माता पिता ने येही सोचा था की आज इतने प्रतिष्ठिस पोस्ट पर हो | रउआ सभे से निहोरा बा
की कउनो भाखा केहू के असफलता के कारण ना होला |
भाषा तS ज्ञान के जरिया हS आ आपन माईभाखा के शान से कही की इ हमर मातृभासा हS , उ चाहे भोजपुरी होखे
चाहे ओकर सह भाखा |