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कहानी मेरे दोस्त की

26 दिसम्बर 2021

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इसके बाद जब वो धीरे धीरे बङा हुआ । और जब वह 6 वर्ष का हुआ, तो उसका दाखिला भरतपुर शहर के भगतसिंह विद्यालय में करवाया गया । 
आशीष कुमार कि माँ के गुजर जाने के बाद उसके पिता को बच्चो की परवरिश की खातिर दूसरी शादी करनी पङी ।
आशीष कुमार के पिता मिस्टर भीम सिंह बिजली विभाग में एक सरकारी कर्मचारी थे।
लेकिन शादी के कुछ समय पश्चात ही दुश्मनों की धोखाधड़ी से उन्हे अपनी जान गवानी पड गई ।
और उसके बाद आशीष कुमार और उसकी बहन चंचल दोनों अकेले पड गऐ हालांकि उनकी माँ थी लेकिन आप लोग जानते हैं कि शोतेली माँ तो आखिर शोतेली होती है,  उसने भी उन्हे अपनाने से इंकार कर दिया ।
और आखिर में वो दोनों भाई - बहन बेसाहरा हो गए 
             लेकिन अगर भगवान एक दरवाजा बंद कर देता है तो दूसरा खोल भी देता है 
उसके माता-पिता के गुजर जाने के बाद उनका पालन पोषण उसके दादा - दादी के द्वारा किया गया ।
  शायद भगवान कि भी यही मर्जी थी ।
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ये कहानी एक भाई बहन की है, जिसमें उनके माता-पिता बचपन में ही गुजर गये हैं और वो लङका भी अपंग है लेकिन बाद में वह लङका अपनी मेहनत से अपनी जिंदगी बदल देता है, लेकिन कैसे आइये जानते है ।।

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