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अहदे वफ़ा

3 जून 2023

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नहीं की कोई ताल्लुक नहीं रहा उससे
वो अब भी दिल मे है, पर बदगुमानियो की तरह
अब इन दुखों से भी करना पड़ेगा प्यार मुझे
की दे गया है कोई दुख निशानियों की तरह 

"अहा!अकेले - अकेले चाय पी जा रही है " अचानक उभरी तेज आवाज़ से वो उछल ही पड़ी थी और गरमा गरम चाय के छीटें उसके पैरों पर गिरे तो वो बिलाबिला उठी थी.

ज़रा हवास बहाल हुए तो उसे शोलाबार निगाहों से उसने देखा , "स्टुपिड! तुम्हे ज़रा भी तमीज नहीं, ऐसे आते हैं "
"हा! "वो ढीटाई से हँसता हुआ उछलकर स्लैब पर बैठ गया, " अब क्या मै छत फाड़ कर हाजिर होता"
उसके मज़ाक़ उडाने पर वो खाक होने लगी.

"इंसानों की तरह भी आया जा सकता था "वो अपने पैरों का जायज़ा लेते हुए बोली.

"मै तो इंसानों की तरह ही आया हू, तुम्हे चुंकि अभी इंसानों मे आये थोड़े ही दिन हुए हैं,इसलिए तुमको इंसानों की पहचान नहीं है "रमीन की तंजिया बातों का जवाब उसने बहुत ही अफसुरदगी से दिया था.

वो बमुश्किल अपना गुस्सा काबू करती किचन से  निकलने  लगी, मगर वो पलक झपकते ही उछल कर उसके सामने खड़ा हो गया.
"अहा! कहा जा रही हो,वो जो मेरे दोस्त आये हैं न! उनके लिए चाय कौन बनाएगा?? "उसके अचानक सामने आ जाने पर वो बिदक कर पीछे हटी,फिर नागवारी से बोली

"मै तुम्हारी नौकर नहीं हू "वो तुनक कर बोली.

"हाँ ये तो है" वो फ़ौरन ही मान  गया, फिर उसे तसल्ली दी" मगर मै अनकरीब तुम्हे नौकर बना लूंगा"

"क्या??"रमीन ने मुट्ठीयां भींच कर दाँत पीसे"हटो आगे से "

"कभी नहीं! पहले चाय बनाओ" वो रौब डाल रहा था.
वो सुलग उठी
"देखो अहेद! अभी मेरे मुँह न लगो,मुझे पहले ही तुम पर बहुत गुस्सा है,"रामीन ने ऊँगली दिखाते हुए कहा तो अहेद ने ज़ोरदार कहकहा लगाया और बड़ी ही शरारत से उसकी तरफ झुक कर कहा 
"वैसे  मै बहुत अच्छे मूड मे हूं , तुम चाहो तो मेरे मुँह लग सकती हो. " 

उसकी बात का मतलब समझते ही रमीन ने पास पड़ा फ्राई पैन उठाया और उसके बाजू पर रसीद कर दिया.

उसके दुबारा उठे हुए हाथ को तिलमिला कर अहेद ने सख़्ती से जकड़ा तो फ्राई फैन  छूट कर रमीन के पैर पर गिर गया, "जंगली इंसान! छोड़ो मुझे! वो तकलीफ से चींख पड़ी.पर उसपर  कोई असर नहीं हुआ.

"शर्म नहीं आती, यूँ बीवियों वाले हाथकंडे इस्तेमाल करते हुए" उसके अल्फाज़ ने रमीन को सर से पांव तक सुलगा दिया, " बकवास मत करो अहेद!"उसके चिल्लाने पर वो दाँत दिखाते  हुए  हंसा था,"बेहूदा इंसान हाथ छोड़ो मेरा! वरना मै ताई अम्मा को आवाज़ दे रही हूं
"उसे धमकाया तो अहेद ने बड़ी शराफत से उसका हाथ छोड़ दिया.

वो अपना हाथ दूसरे हाथ से दबाती सहलाती बाहर निकलने लगी,मगर इससे पहले ही हातिम ने फुर्ती से दरवाज़ा बंद कर दिया,"अहेद!"वो एहतेजाजन से चींखी.
मगर वो बड़े आराम से दरवाज़े से टेक लगाकर खड़ा हो गया और इत्मीनान से बोला "चाय बनाओगी तो  ही दरवाजा खुलेगा" अहेद की ढीटाई देखते हुए उसने किचन की जाली के जरिये ही ताई अम्मा को आवाज़ देना शुरू कर दिया

और वो इस कदर फुर्सत से खड़ा था की जैसे ताक़यामत  वहां से न हटने का इरादा रखता हो.
रमीन के चींखो पुकार पर ताई अम्मा तो नहीं आयीं पर शबा ज़रूर आ गयी.

"क्या हुआ है,क्यों चिल्ला रही हो" शबा ने आते ही पूछा.
"मुझे नहीं तुम्हारे दुलारे भाई को कुछ हो गया "शबा ने एहतियात से किचन के बंद दरवाज़े को देखा"ये दरवाजा क्यों बंद है "उसने ताक झांक के बाद कहा.
"उसी से पूछो!" रमीन ने जल कर कहा.

शबा ने बंद दरवाज़े को देखा.

"इससे कह दो की शराफत से दरवाजा खोल दे वरना आज मै इसको क़त्ल कर दूंगी " रमीन मुट्ठीयाँ कसते हुए बोली.
"बाहर से तो दरवाज़ा खुला है "शबा ने कहा तो वो जलती नज़र अहेद पर डालती बोली,"बाहर से खुला है क्योंकि अंदर से बंद है और तुम्हारा ख़बीस भाई दरवाज़े पर खड़ा है, आई कील हिम!"
"ओह माय गॉड " शबा सर पर हाथ मार कर कराही थी.
"देखो!अगर ये चाय बना देगी तो मै शराफत साहब को ज़हमत दिए बगैर दरवाज़ा खोल दूंगा"  वो ऊँची आवाज़ मे बोला तो शबा ने बेचारगी से शाने उचकाये.

"मै कभी नहीं बनाउंगी "रमीन ने झुंझला कर पैर पटके थे.
"फिर तुम यहीं रहोगी कैद मे और तुम शबा! तुम ये करो की सबको बुलाकर लाओ"  वो बहुत ही सुकून से बोला तो रमीन गुर्रा उठी "क्या मतलब है तुम्हारा"

" बदनाम अगर होंगे तो क्या मामला होगा " वो गुनगुनाया.

मारे गुस्से से रमीन का दिल चाह रहा था की खड़े खड़े उसका कीमा बना दे.
"रूमी! वना दो चाय, टाइम ही कितना लगता है" शबा ने हमेशा की तरह उसे ही झुक जाने का मशवरा दिया था.
वो चकरा कर रह गयी थी उसके मशवरे पर, "टाइम नहीं लगता, मगर इज़्ज़त ए नफ़्स लगती है" वो तिलमिलायी थी.



"क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा" अहेद के शरारती अंदाज़ पर रामीन तिलमिला कर रह गयी, "
मुझे नहीं पता अपनी लाडली बहन से बनवा लो" उसने हरी झंडी दिखायी.

"हमेशा बहन ही बनाती है, अब तुम्हारी बारी है"वो सीने पर हाथ बांधे उसे नज़रों के घेरे मे लेते हुए बोला.

"तो लाओ कोई नौकरानी"वो कहाँ हार मानने वालों मे से थी


"तुम जो हो" उसने उसे छेड़ा फिर से तो रमीन रूहासी हो गयी.
"अभी मान लो रूमी! बाद मे बदला ले लेना. " उसने बहुत हमदर्दी से मशवरा दिया था
"तुम तो हो ही भाई की चमची! पिछले पंद्रह मिनट  मे तुमने इसे एक बार भी मना नहीं किया,मुझे ही मशवरे दिए जा रही हो "इसके एहतेजाज़ पर शबा ने आँखे बंद कर ली.
"अम्मी और चची जान बाज़ार गयी हैं और अब मै भी अपने कमरे मे जा रही हूं "शबा के अंदाज़ पर वो हक्का बक्का रह गयी.

जबकि अहेद ने ज़ोरदार कहकर लगाया था.
वो रूहासी हो गयी और पैन मे पानी डाल कर चूल्हे पर पटखा और बरनर जलाने लगी.






ओनली 10 part सीरीज़.. वैसे याद आया कहानी का...??





क्रमशः...












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