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अजीब-सी आदत

3 फरवरी 2024

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रास्ते पर चलते हुए, सड़क पर मौजूद दूसरे लोगों पर ध्यान न देना मेरी शुरुआत से ही आदत रही है। इस कारण कई बार जो अच्छे जान-पहचान वाले लोग हैं वो भी भीड़ की तरह पास से गुज़र जाते हैं और बाद में कहीं मिलने पर उनकी शिकायतों से पता चलता है कि उस दिन सड़क की भीड़ में वो भी मौजूद थे। कई बार लोग इसे जानबूझकर नजरअंदाज करना भी समझ लेते हैं पर मुझे उनकी गलतफहमियों से फर्क कभी नहीं पड़ा शायद इसलिए क्योंकि ये आदत मेरा स्वभाव बन चुकी है जिसे बदलने का मेरा कोई इरादा नहीं है और इससे अब तक मुझे कोई नुकसान भी नहीं है।

लोगों की बजाय मेरी नज़र रास्ते की घटनाओं, बदली हुई या अलग चीजों पर अधिक ठहरती है जैसे :

कुत्ते और बिल्ली का एकसाथ एक ही जगह बैठा होना, जैसे एक गिरे-पड़े झोपड़े के बाहर TOYOTA खड़ी होना,जैसे किसी घर की Nameplate पर नाम के साथ Ph.d scholar लिखा होना,जैसे अंधेरी गली में टूटी-फूटी बोतलों और शीशे के टुकडों का पड़ा होना, जैसे पुलिस चौकी के बगल एक बड़ा सा शराबखाना, जैसे Red signal पर भी गाड़ियों का तेजी से निकल जाना, जैसे एक पतले से पेड़ पर लिपटे कई सारे तार, जैसे किराने की दुकान पर बिक रहे कुछ कीमती औज़ार, जैसे अज़ान के समय गानों की तेज आवाज़ें, जैसे कचड़े के ढेर में पड़ी कुछ अच्छी किताबें ....
और ऐसा ही बहुत कुछ....
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रचनाएँ
मेरी बातें मुझ तक
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जो सोचा....जीया...... चाहा......देखा यहां है वही लिखा ।
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एक अलग दुनिया

3 फरवरी 2024
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हम सब जानते हैं कि इच्छाओं और सपनों में बहुत बारीकी का अंतर है, इच्छाएँ- जो हम जीवन में करना या पाना चाहते हैं ,सपनें- जो हम खुली या बंद आँखों से देखते हैं, जिनकी पहचान ही है अपूर्ण रहना। लोग अक्सर कह

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रद्दी

3 फरवरी 2024
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कमरे में ऊपर छज्जे पर कुछ किताबें पड़ी है जो पिछले कई सालों की जमापूँजी हैं, जिसे मैंने लगभग 10 -12 साल से जमा कर रखा है, जो अब किसी काम की नहीं है क्योंकि previous course की किताबें थीं इसलिए अब out o

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पछतावे से भरी जिंदगी

3 फरवरी 2024
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मैं जीवन में हमेशा एक ही बात से डरती रही हूँ कि मुझे कभी अपने किसी फैसेले पर या कहने-बोलने पर पछताना न पड़े, जीवन में किसी चीज का पछतावा न रहे और इसी डर से मैं कभी किसी नतीजे पर नहीं पहुँचती, सबक

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मेरी कलम

3 फरवरी 2024
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लिखना केवल मेरा शौक नहीं है,ये ज़रिया है खुद को जीने का और ये एहसास दिलाने का कि मुझमें कुछ तो बाकी है।मेरी कलम मुझे मुझसे ज्यादा समझने लगी है,ये उन लफ़्ज़ों पर आकर अपने आप रुक जाती है जिनके ज़िन्दगी में

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अजीब-सी आदत

3 फरवरी 2024
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रास्ते पर चलते हुए, सड़क पर मौजूद दूसरे लोगों पर ध्यान न देना मेरी शुरुआत से ही आदत रही है। इस कारण कई बार जो अच्छे जान-पहचान वाले लोग हैं वो भी भीड़ की तरह पास से गुज़र जाते हैं और बाद में कहीं मिलने पर

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