ये किताब समूह है ज़िंदगी के अलग-अलग भावों का या यों कहें कि अनुभवों की ऐसी दुनिया जहां हर शब्द जीया गया है,सहा गया है,निभाया गया है। ये हूबहू वैसा ही है जैसा घटा जिसमें कुछ जोड़ा नहीं गया और टूटी चीजों के टुकड़ों को संजोकर पिरोए गए एहसास हैं जो खुद से जोड़े रखते हैं। कुछ कोट्स तो कुछ मन के वो विचार जो ज़िंदगी से सीखे गए ।एक वाक्य में कहें तो अनुभवों की डायरी जिसे बस शब्दों के उलट-फेर से सजा दिया गया है । कलम से अच्छा कोई साथी नहीं है और पन्ने से बड़ा कोई हितैषी नहीं जो उनपर लिखे गए शब्द को संजो कर रखती है । भूमिका के तौर पर इतना ही कहते हुए अप सब से अनुरोध करती हूं कि जिंदगी की जद्दोजहद से थोड़ा वक्त निकाल कर इस किताब को पढ़ें और इसे एक पहचान दें।
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