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कोरी ज़िंदगी

Kamini Yadav

3 अध्याय
1 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
4 पाठक
निःशुल्क

सामाजिक तथ्यों से जुड़े कुछ किस्से जो व्यक्तिगत जीवन पर हावी हैं और घुटन ,अवसाद, एकाकीपन आदि नकारात्मक भावों का सबसे बड़ा कारण भी । प्रस्तुत किताब में यही दर्शाने की कोशिश की गई है । पात्र और घटनाएं भले ही काल्पनिक हैं परंतु कथा-वस्तु और निष्कर्ष बिल्कुल प्रासंगिक एवं उद्देश्यपूर्ण हैं। कृपया कहानियों को पढ़ा जाए एवं इनपर मूल्यवान टिप्पणियां दी जाएं ताकि कलम आगे भी ऐसा ही कुछ लिखने के लिए प्रेरित होती रहे। 

kori jaindagi

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कहानियां पढ़ कर मुझे यूँ प्रतीत हुआ की कलम की understanding लेखिका कामिनी जी के साथ बहुत मजबूत है ..

पुस्तक के भाग

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15 मिनट की दूरी

1 जनवरी 2024
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रात के 11 बज रहे थे।मोहल्ले की गलियाँ सुनसान हो गयी थीं।उस दिन ऑफिस से लौटने में अंजू को देर हो गयी,हो भी क्यों न कलकत्ते की सड़कों पर वाहनों से ज्यादा लोगों की मौजूदगी होती है और उस दिन भी कोई इसी भीड़

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प्रेम-विवाह

28 जनवरी 2024
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उस दिन सुबह उठते ही साक्षी के भीतर एक अलग उत्साह था ,चेहरे पर अलग तेज था जो ये साफ दर्शा रहा था कि वह रात भर सोई नहीं है इस इंतज़ार में कि सुबह कब होगी और वह कब सूरज की रोशनी अपने आंगन में देखेगी। सूर

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घुटते सपने

30 जनवरी 2024
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"रेनू .....ज़रा सिर की मालिश कर दे, दर्द से फटा जा रहा है" माँ ने रेनू को आवाज़ लगाई। रेनू भागती हुई कमरे से बाहर आई और तेल की शीशी उठाकर माँ के सिरहाने बैठ गयी। मालिश करते हुए वह हमेशा की तरह अपन

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