![अलका सरावगी](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fusers%2F%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_62a994cf8838511aaa190838_1655281563448.jpg&w=384&q=75)
अलका सरावगी
अलका सरावगी हिन्दी कथाकार हैं। वे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। अलका सरावगी का जन्म 1960 ई. के नवम्बर माह में हुआ। कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) में जन्मी अलका ने हिन्दी साहित्य में एम॰ए॰ और 'रघुवीर सहाय के कृतित्व' विषय पर पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की है। "कलिकथा वाया बाइपास" उनका चर्चित उपन्यास है, जो अनेक भाषाओं में अनुदित हो चुके हैं। अपने प्रथम उपन्यास ‘कलिकथा वाया बायपास’ से एक सशक्त उपन्यासकार के रूप में स्थापित हो चुकी अलका का पहला कहानी संग्रह वर्ष 1996 में 'कहानियों की तलाश में' आया। इसके दो साल बाद ही उनका पहला उपन्यास 'काली कथा, वाया बायपास' शीर्षक से प्रकाशित हुआ। 'काली कथा, वाया बायपास' में नायक किशोर बाबू और उनके परिवार की चार पीढिय़ों की सुदूर रेगिस्तानी प्रदेश राजस्थान से पूर्वी प्रदेश बंगाल की ओर पलायन, उससे जुड़ी उम्मीद एवं पीड़ा की कहानी बयाँ की गई है। वर्ष 2000 में उनके दूसरे कहानी संग्रह 'दूसरी कहानी' के बाद उनके कई उपन्यास प्रकाशित हुए। पहले 'शेष कादंबरी' फिर 'कोई बात नहीं' और उसके बाद 'एक ब्रेक के बाद'। उन्होने ‘एक ब्रेक के बाद’ उपन्यास के विषय का ताना-बाना समसामायिक कोर्पोरेट जगत को कथावस्तु का आधार लेते हुए बुना है। अपने पहले उपन्यास के लिए ही उनको वर्ष 2001 में 'साहित्य कला अकादमी पुरस्कार' और 'श्रीकांत वर्मा पुरस्कार' से नवाजा गया था। यही नहीं, उनके उपन्यासों को देश की सभी आधिकारिक भाषाओं में अनूदित करने की अनुशंसा भी की गई है।
![अलका सरावगी की डायरी](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fbook.0614cbf5.png&w=384&q=75)
![अलका सरावगी की डायरी](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fbook.0614cbf5.png&w=256&q=75)
![कोई बात नहीं](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FkoiibaatnhiiN_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087971_1655282758444.jpg&w=384&q=75)
कोई बात नहीं
“तभी हवा का एक झोंका न जाने क्या सोचकर एक बड़े से काग़ज़ के टुकड़े को शशांक के पास ले आया। उसने घास से उठाकर उसे पढ़ा—‘आदमी का मन एक गाँव है, जिसमें वही एक अकेला नहीं रहता।’ शशांक ने सोचा, आदमी मन में ही तो अपने को और अपनी सारी बातों को छिपाकर रख सकता ह
![कोई बात नहीं](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FkoiibaatnhiiN_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087971_1655282758444.jpg&w=256&q=75)
कोई बात नहीं
“तभी हवा का एक झोंका न जाने क्या सोचकर एक बड़े से काग़ज़ के टुकड़े को शशांक के पास ले आया। उसने घास से उठाकर उसे पढ़ा—‘आदमी का मन एक गाँव है, जिसमें वही एक अकेला नहीं रहता।’ शशांक ने सोचा, आदमी मन में ही तो अपने को और अपनी सारी बातों को छिपाकर रख सकता ह
![एक ब्रेक के बाद](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fekbrekkebaad_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087973_1655283604558.jpg&w=384&q=75)
एक ब्रेक के बाद
उम्र के जिस मुक़ाम पर लोग रिटायर होकर चुक जाते हैं, के.वी. शंकर अय्यर के पास नौकरियाँ चक्कर लगा रही हैं। के.वी. मानते हैं कि इंडिया के इकोनॉमिक ‘बूम’ में देश की एक अरब जनता के पास ख़ुशहाली के सपने हैं। दुनिया का शासन अब सरकारों के हाथ नहीं, कॉरपोरेट क
![एक ब्रेक के बाद](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fekbrekkebaad_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087973_1655283604558.jpg&w=256&q=75)
एक ब्रेक के बाद
उम्र के जिस मुक़ाम पर लोग रिटायर होकर चुक जाते हैं, के.वी. शंकर अय्यर के पास नौकरियाँ चक्कर लगा रही हैं। के.वी. मानते हैं कि इंडिया के इकोनॉमिक ‘बूम’ में देश की एक अरब जनता के पास ख़ुशहाली के सपने हैं। दुनिया का शासन अब सरकारों के हाथ नहीं, कॉरपोरेट क
![जानकीदास तेजपाल मैनशन](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fjaankiidaastejpaalmainshn_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087974_1655284580809.jpg&w=384&q=75)
जानकीदास तेजपाल मैनशन
जो सतह पर दिखता है, वह अवास्तविक है। कलकत्ता के सेंट्रल एवेन्यू पर 'जानकीदास तेजपाल मैनशन’ नाम की अस्सी परिवारों वाली इमारत सतह पर खड़ी दिखती है, पर उसकी वास्तविकता मेट्रो की सुरंग खोदने से ढहने और ढहाए जाने में है। अंग्रेज़ी में एक शब्द चलता है ‘अंडर
![जानकीदास तेजपाल मैनशन](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fjaankiidaastejpaalmainshn_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087974_1655284580809.jpg&w=256&q=75)
जानकीदास तेजपाल मैनशन
जो सतह पर दिखता है, वह अवास्तविक है। कलकत्ता के सेंट्रल एवेन्यू पर 'जानकीदास तेजपाल मैनशन’ नाम की अस्सी परिवारों वाली इमारत सतह पर खड़ी दिखती है, पर उसकी वास्तविकता मेट्रो की सुरंग खोदने से ढहने और ढहाए जाने में है। अंग्रेज़ी में एक शब्द चलता है ‘अंडर
![कुलभूषण का नाम दर्ज कीजिये](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fkulbhuussnnkaanaamdrjkiijiye_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087975_1655285613484.jpg&w=384&q=75)
कुलभूषण का नाम दर्ज कीजिये
डेढ़ चप्पल पहनकर घूमता यह काला लम्बा, दुबला शख़्स कौन है? हर बात पर वह इतना ख़़ुश कैसे दिखता है? उसे भूलने का बटन देने वाला श्यामा धोबी कहाँ छूट गया? कुलभूषण को कुरेदेंगे, तो इतिहास का विस्फोट होगा और कथा-गल्प-आपबीती-जगबीती के तार निकलते जायेंगे। कुलभूष
![कुलभूषण का नाम दर्ज कीजिये](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fkulbhuussnnkaanaamdrjkiijiye_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087975_1655285613484.jpg&w=256&q=75)
कुलभूषण का नाम दर्ज कीजिये
डेढ़ चप्पल पहनकर घूमता यह काला लम्बा, दुबला शख़्स कौन है? हर बात पर वह इतना ख़़ुश कैसे दिखता है? उसे भूलने का बटन देने वाला श्यामा धोबी कहाँ छूट गया? कुलभूषण को कुरेदेंगे, तो इतिहास का विस्फोट होगा और कथा-गल्प-आपबीती-जगबीती के तार निकलते जायेंगे। कुलभूष
![एक सच्ची-झूठी गाथा](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Feksccii-jhuutthiigaathaa_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087977_1655286386273.jpg&w=384&q=75)
एक सच्ची-झूठी गाथा
इक्कीसवीं सदी की यह गाथा एक स्त्री और एक पुरुष के बीच संवाद और आत्मालाप से बुनी गई है। यहाँ सिर्फ सोच की उलझनें और उनकी टकराहट ही नहीं, आत्मीयता की आहट भी है। किन्तु यह सम्बन्ध इंटरनेट की हवाई तरंगों के मार्फत है, जहाँ किसी का अनदेखा, अनजाना वजूद पूर
![एक सच्ची-झूठी गाथा](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Feksccii-jhuutthiigaathaa_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087977_1655286386273.jpg&w=256&q=75)
एक सच्ची-झूठी गाथा
इक्कीसवीं सदी की यह गाथा एक स्त्री और एक पुरुष के बीच संवाद और आत्मालाप से बुनी गई है। यहाँ सिर्फ सोच की उलझनें और उनकी टकराहट ही नहीं, आत्मीयता की आहट भी है। किन्तु यह सम्बन्ध इंटरनेट की हवाई तरंगों के मार्फत है, जहाँ किसी का अनदेखा, अनजाना वजूद पूर
![शेष कादम्बरी](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fshesskaadmbrii_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087979_1655287242742.jpg&w=384&q=75)
शेष कादम्बरी
‘सोशल वर्क’ और ‘सोशल जस्टिस’ इन दो शब्दों के बीच के स्पेश का मोहक किन्तु मार्मिक प्रतिबिम्बन है अलका सरावगी का उपन्यास—‘शेष कादम्बरी’। वृद्ध और युवा जीवन-दृष्टि के फ़र्क़ को रेखांकित करनेवाला यह उपन्यास अलका सरावगी के जीवन्त लेखन का ऐसा प्रतीक है जिसमे
![शेष कादम्बरी](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2Fshesskaadmbrii_%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580_10087979_1655287242742.jpg&w=256&q=75)
शेष कादम्बरी
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