सचिव ब्लिंकन के इस भारत की सराहना करने वाले बयान से आत्मविश्वास बढ़ा है। उनके अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक अद्भुत सफलता कहानी है, जिसने लोगों को बहुत लाभ पहुंचाया है। वे यह
भारत और अर्जेंटीना के बीच हुआ लिथियम समझौता एक महत्वपूर्ण और रणनीतिक स्टेप है जो ऊर्जा सुरक्षा और स्वतंत्रता में सुधार करने का भी हिस्सा है। लिथियम एक कुंजीकरण तत्व है जो इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा सं
भारत-बांग्लादेश प्रस्तावना :- भारत और बांग्लादेश के बीच दोस्ती का सफर एक अद्वितीय और सजीव संबंध की कहानी है, जिसने इन दो देशों को आपसी समझ, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और सहयोग की नई ऊंचाइयों तक
वो वीर निराले होते हैं,ऐसे मतवाले होते हैं,अपने देश की रक्षा की खातिर,अपने प्राण आहुति देते हैं।इन जांबाजों के जीवन में,देश प्रथम ही होता है,मर मिट जाते हैं वतन की खातिर,देश सर्वदा प्रथम ही होता है।कह
भारत का अभिमान तिरंगा।जन जन का है मान तिरंगा।।गांव गांव और शहर शहर।चहुंओर फहराए तिरंगा।।आजादी का यह अमृत काल।पूर्ण हो रहा पचत्तहर साल।।घर घर की है शान तिरंगा।हम सब का है मान तिरंगा।।धरती अ
सखि, मन बहुत उदास है । 1988 से 1990 का काश्मीर का माहौल याद आने लगा है । उस समय हिन्दुओं को चुन चुन कर मारा गया था । उनकी बहन बेटियों से दुष्कर्म, सामूहिक बलात्कार और उनके साथ सरेआम बदसलूकी
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू की तरह हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के पहली पंक्ति के नेता थे। पर अपने आप को भारत माता पर उत्सर्ग करने की आतुरता में उनकी तुलना शहीद भगत सिंह जैसे वीरों
हर खबर पर यकीन कैसे करूंकैसे कहूं कि सच या झूठदेश का चौथा स्तंभ है मीडियालेकिन यहां पर पड़ गई फूटधन के लालची हैं मनुष्य बेच रहा है अपना ईमान झूठ के हाथटूट रहा विश्वास हर मनुज काबन गया कठपुतली रहन
उदय वर्षा का अंत हो गया। क्वार उतर रहा था। कभी-कभी झीनी-झीनी बदली हो जाती थी। परंतु उस संध्या के समय आकाश बिलकुल स्वच्छ था। सूर्यास्त होने में थोड़ा विलम्ब था। बिठूर के बाहर गंगा के किनारे तीन अश्वार
निश्चिन्त चारुजल ताल-तीर है खड़ा एक बरगद गम्भीर, पत्ते-पत्ते में सघन, श्यामद्युति हरियाली । डोलता दिवस भर छवि बिखेर, जब निश आती, झूमता पेड़, गुंजित विहंग-कलकूजन से डाली-डाली । भीतर-भ
बार-बार लिपटा चरणों से, बार-बार नीचे आया; चूक न अपनी ज्ञात हमें, है दण्ड कि निर्वासन पाया । (1) तरी झांझरी साथ मिली, चल पड़ा कहीं तिरता-तिरता, लहर-लहर पर सघन अमा में ज्योति खोजता मैँ
कुछ आये शर-चाप उठाये राग प्रलय का गाते, मानवता पर पड़े हुए पर्वत की धूल उड़ाते । कुछ आये आसीन अनल से भरे हुए झोंकों पर, गाँथे हुए मुकुट-मुंडों को बरछों की नोकों पर । कूछ आये तोलते कदम को मणि-मुक
(1) वीर-वन्दना की वेला है, कहो, कहो क्या गाऊं ? आँसू पातक बनें नींव की ईंट अगर दिखलाऊं । बहुत कीमती हीरे-मोती रावी लेकर भागी, छोड़ गई जालियाँबाग की लेकिन, याद अभागी । कई वर्ष उससें पहले, जब
आपके बलिदान को हर देशवासी याद रखेगाजब तक सांस चलेगी, आपका बलिदान हर,देशवासी को याद, आएगा।जब जब ये तारी
छाती पे तमगे देख के जिसके भूतल हिल जाता था। सो रहा है वो शेर देखो, देश सत-सत शीश नमाता है।
हमारे प्यारे सैनिको,
क्यों चीन, पाकिस्तान तुम जिया जलाते हो।
क्यों नहीं विश्व शा
मत घर बुला माँ... तेरा व
यहाँ मिल गई एक और माँ।
जन गण मन की धुन से झंकृत,
मन वीणा के तार हुए।
माँ भारती सजी ह
सोनार बांग्ला देश ‘स्वर्णजयंती समारोह’डॉ शोभा भारद्वाज ईरान में प्रवास के दौरान बंगलादेशी डाक्टर अनीसइनके मित्र अक्सर हमारे घर आते थे उनका बचपन पाकिस्तान में बीता था वहाँ उनके पितासरकारी अधिकारी थे. डॉ अनीस बहुत अच्छी उर्दू बोलते थे हमारे परिवार से प्रेम काकारण भी भाषा थी वैसे विदेशों में हम रा