पाकिस्तान में लड़कियों के लिए कई कड़े नियम होते हैं। वहां रहने वाले लोगों को इन नियमों को मानना भी होता है, लेकिन कहते हैं ना कि जहां चाह वहां राह। एक ऐसा ही वाक्या पाकिस्तान में घटा है जिसके चलते वहां पर पहली बार कोई हिंदू महिला जज बनी हैं। बता दें सुमन पवन बोदानी नाम की ये महिला पहली महिला सिविल जज बनी हैं। सुमन ने सिविल जज के लिए जारी हुई लिस्ट में 54वीं रैंक हासिल की। सुमन पाकिस्तान के सिंध प्रांत के कंबर शाहदादकोट इलाके में पड़ने वाले एक छोटे से गांव में रहती हैं और उसी गांव के एक जिले में उनकी नियुक्ति हुई है।
बता दें कि सुमन पाकिस्तान में एक अल्पसंख्यक समुदाय से आती हैं। बात करें उनके समुदाय की तो उसमें लड़कियां अधिकतर या तो डॉक्टर बनती हैं या शिक्षिका, लेकिन सुमन ने इन सबके विपरीत अपने करियर में लॉ को चुना। हालांकि सुमन को लॉ की पढ़ाई करने के लिए उनके समुदाय से काफी तरह के विरोधों का सामना करना पड़ा, लेकिन अपनी दृढ़ इच्छा और परिवार के सपोर्ट के चलते उन्होंने वहीं किया जो वो करना चाहती थीं। बता दें कि सुमन ने हैदराबाद से एलएलबी की उसके बाद एलएलएम करने के लिए वो कराची के ‘शहीद जुल्फिकार अली भुट्टो इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी’ चली गईं। जिसको करने के बाद उन्होंने रिटायर्ड एडवोकेट जस्टिस रशीद रिज़वी की लॉ फर्म में दो साल तक प्रैक्टिस की। जैसा की हमने बताया कि सुमन की बिरादरी वाले नहीं चाहते थे कि वो लॉ करें, लेकिन उनके परिवार वालों के सपोर्ट के चलते सुमन ने अपनी पढ़ाई पूरी की। सुमन के पिता ने उनकी पढ़ाई की बात करते हुए बताया कि वो हमेशा से चाहते थे कि उनकी बेटी वकालत करें। ‘मेरी बेटी शाहदादकोट में गरीबों को मुफ्त कानूनी मदद मुहैया कराना चाहती है. उसने भले ही चुनौतीपूर्ण पेशा चुना हो लेकिन मुझे पुरा यकीन है कि वो अपनी मेहनत और ईमानदारी से कामयाबी के शिखर पर पहुंचेगी.’ खबरों की मानें तो पवन कुमार बोदानी (सुमन के पिता) आंखों के डॉक्टर हैं। सुमन के परिवार की बात करें तो उनके घर में सभी एक बेहतर पेशे में हैं। जहां सुमन की बड़ी बहन एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं तो वहीं उनकी दूसरी बहन चॉर्टेड अकाउंटेंट हैं। और उनके दो छोटे भाई कॉलेज में पढ़ रहे हैं और वो दोनों भी अपने पिता की तरह डॉक्टर बनना चाहते हैं। सुमन के परिवार में उनके भाई-बहन की सफलता और परवरिश देखकर यही लगता है कि उनके पिता ने अपने सभी बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सुमन ने बताया कि ‘मैं वकील इसलिए बनी क्योंकि पिछड़े इलाकों में बहुत से गरीब लोग हैं जिन्हें कानून के बारे में कुछ नहीं पता। उन्हें किसी अच्छे वकील की बहुत ज़रूरत है जो उन्हें कानूनी मुद्दों में मदद कर सके। मेरे पिता और परिवार के समर्थन की वजह से ही मैं ये कर पाई हूं।’ सुमन ने अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपने परिवार को दी हैं। उन्हीं के सपोर्ट से आज वो पहली एक हिंदू महिला जज बन पाई हैं। बात करें पाकिस्तान की तो वहां पर लगभग 2 प्रतिशत हिन्दू आबादी है। हालांकि वहां पर पहले भी कई हिंदू जज रह चुके हैं साल 2005 से 2007 तक जस्टिस राणा भगवानदास कार्यकारी चीफ जस्टिस रहे थे। पर ये पहली बार है कि कोई पाकिस्तान में कोई पहली हिन्दू महिला जज बनी हैं।