मुझमें, मौन समाहित है✒️जब खुशियों की बारिश होगीनृत्य करेंगे सारेलेकिन,शब्द मिलेंगे तब गाऊँगामुझमें, मौन समाहित है।अंतस् की आवाज़ एक हैएक गगन, धरती का आँगन।एक ईश निर्दिष्ट सभी मेंएक आत्मबल का अंशांकन।।बोध जागरण होगा जिस दिनबुद्ध बनेंगे सारेलेकिन,चक्षु खुलेंगे तब आऊँगामुझमें, तिमिर समाहित है।वंद्य चरण
जीवन की अबुझ पहेली✒️जीवन की अबुझ पहेलीहल करने में खोया हूँ,प्रतिक्षण शत-सहस जनम कीपीड़ा ख़ुद ही बोया हूँ।हर साँस व्यथा की गाथाधूमिल स्वप्नों की थाती,अपने ही सुख की शूलीअंतर में धँसती जाती।बोझिल जीवन की रातेंदिन की निर्मम सी पीड़ा,निष्ठुर विकराल वेदनासंसृति परचम की बीड़ा।संधान किये पुष्पों केमैं तुमको पु