मुझमें, मौन समाहित है✒️जब खुशियों की बारिश होगीनृत्य करेंगे सारेलेकिन,शब्द मिलेंगे तब गाऊँगामुझमें, मौन समाहित है।अंतस् की आवाज़ एक हैएक गगन, धरती का आँगन।एक ईश निर्दिष्ट सभी मेंएक आत्मबल का अंशांकन।।बोध जागरण होगा जिस दिनबुद्ध बनेंगे सारेलेकिन,चक्षु खुलेंगे तब आऊँगामुझमें, तिमिर समाहित है।वंद्य चरण
बुद्ध पूर्णिमा “स्त्री तब तक “चरित्रहीन” नहींहो सकती, जब तक पुरुष “चरित्रहीन” न हो | आज हम जो कुछ भीहैं वो हमारी आज तक की सोच का परिणाम है | इसलिए अपनी सोच ऐसी बनानी चाहिए ताकि क्रोध न आए | क्योंकि हमें अपने क्रोध के लिए दण्ड नहीं मिलता, अपितुक्रोध के कारण दण्ड मिलता है | क्रोध एक ऐसा जलता हुआ कोयला
वन निकले सजन, मेरा सूना अंगन, छोड़ चले गए हमारे सजना| मुझे लगी लगन, मेरा सूना अंगन, न आये मिलने को हमारे सजना|| जब याद सजन की आये, मेरा अंग- अंग दहलाये|ना खबर पिया आये, मिलाने को जिया घबराये||1|| भटके वन-वन, करें कठिन तपन, मोह माया को तजि गए हमारे सजना|जब हमको बताके जात
जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि, तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो । फिर जीत हमेशा तुम्हारी ही होगी, इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता है ।किसी भी हालात में तीन चीजें कभी भी छुपी नहीं रह सकती, वो है- सूर्य, चन्द्रमा और सत्य ।जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक
बुद्ध पूर्णिमा _____________ बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती सारी दुनिया में बौद्धों का सबसे बड़ा त्योहार है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और यही उनकी ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ( मृत्यु ) का भी दिन है। यह पर्व वैशाख माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। आइये हम भगवान बुद