#आईना_हूँ_मैं_आईना_जैसी# #मैं_प्रेम_की_परिभाषा_हूँ,_#पराकाष्ठा_भी_हूँ_और_संयम_भी_मैं_ही_हूँ...#
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<div><br></div><div><br></div><div>जिस डगर ले चलोगे, नाथ हम संग चलेंगे </div><div>यूँ संग हमें
पूरे-पूरे भाव सजायें फ़िर क्यों लगता गीत अधूरा है<div>चूम लिया शब्दों को उसने तो लगे गीत फ़िर पूरा ह