कैसी ये मनहूस घड़ी थी,
पटरी पर एक लाश पड़ी थी।
दो हिस्सों में बंटी हुई थी,
किसी ट्रैन से कटी हुई थी।।
फोन कान से लगा हुआ था,
दिल से उसके दगा हुआ था।
प्यार किसी से करता था वो,
किसी कली पर मरता था वो।।
धोखा खाकर टूट गया,
उसका अपना रुठ गया।
प्रेम दीवाना छला गया,
जान गवां कर चला गया।।
रिश्ते नाते तोड़ गया,
बस दर्द की आहें छोड़ गया।
प्यार मोह्हबत के चक्कर मे,
दुनियां से मुंह मोड़ गया।।
एक सबक वो सिखा गया,
दुनियां को ये दिखा गया।
प्रेम माँगता है कुर्बानी,
पन्नो में ये लिखा गया।।
एक अंधी अनजान मोहब्बत,
पाकर के वो फूल गया।
जिसने जनम दिया और पाला,
उनको पल भर में भूल गया।।
क्या ऐसी मजबूरी थी,
क्या चाहत कोई अधूरी थी।
क्या जीने की कोई चाह न थी,
क्या देनी जान जरूरी थी।।
अरे अभागे, तेरी मौत पर,
आंसू कौन बहायेगा।
होगा ये अंजाम अगर जो,
मां बाप को तू ठुकरायेगा।।