shabd-logo

वन्दना

14 जनवरी 2024

16 बार देखा गया 16
रवि की किरणें तम हरण करें।
नवज्योति प्रकाशित वरण करें।।

अविच्छिन धरा ये पावन हो।
उषा की वेला मनभावन हो।।

रत रहें प्रगति के पथ पर हम,
निज कर्मशील अनुरागी हो।।

सत्यनिष्ठ अरु धर्मनिष्ठ सत
कर्मो के सहभागी हों।।

प्रतिकार रहित हो मन मन्दिर
स्वयमेव समादृत लोचन हों।

संकल्पबद्ध कल्याण हेतु
पर कष्ट विनाशक मोचन हों।

आओ इस पावन वेला पर
एक ज्ञानदीप प्रज्ज्वलित करें।

अज्ञान सदृश तम हरण करें,
जीवन उपवन उज्जवलित करें।

4
रचनाएँ
काव्य - कुसुम
0.0
सामाजिक जीवन में तमाम अनुभूतियों को व्यक्त करने के कई माध्यम होते हैं। कुछ अनुभूतियां कविता के रूप में स्फुटित होकर हमारे आपके बीच बहुत कुछ कह जाती हैं। ऐसी ही कुछ अनुभूतियों को आप सब के बीच रखने का एक छोटा सा प्रयास है।
1

वन्दना

14 जनवरी 2024
2
0
0

रवि की किरणें तम हरण करें।नवज्योति प्रकाशित वरण करें।।अविच्छिन धरा ये पावन हो।उषा की वेला मनभावन हो।।रत रहें प्रगति के पथ पर हम,निज कर्मशील अनुरागी हो।।सत्यनिष्ठ अरु धर्मनिष्ठ सतकर्मो के सहभागी हों।।प

2

वो हालातों से टूट गयी

14 जनवरी 2024
0
0
0

जो भीख मांगती सड़कों पर,ये कैसी उसकी करनी थी।क्या कहूँ भला उस ममता को,जो दो बेटों की जननी थी।।अपनी औलाद ने छोड़ दिया,दर - दर की ठोकर खाने को।लाठी ने दामन थाम लिया,इस पेट की भूख मिटाने को।।जिनकी ममता ने

3

अंजाम- ए- मोहब्बत

14 जनवरी 2024
0
0
0

कैसी ये मनहूस घड़ी थी,पटरी पर एक लाश पड़ी थी।दो हिस्सों में बंटी हुई थी,किसी ट्रैन से कटी हुई थी।।फोन कान से लगा हुआ था,दिल से उसके दगा हुआ था।प्यार किसी से करता था वो,किसी कली पर मरता था वो।।धोखा खाकर

4

फिर से कोई दिल को तोड़ेगा.....

31 जनवरी 2024
1
0
1

कुछ ख्वाब अधूरे टूटेंगे।कुछ सपने खुशियां लूटेंगे।कुछ साथी राह में छूटेंगे।कुछ अपने भी जब रूठेंगे।अफसोस मगर तो होगा जब,फिर से कोई दिल को तोड़ेगा।।......(1)यादों के जख्म हरे होंगे।नयनों में अश्रु भरे हों

---

किताब पढ़िए