एक ग्रामीण आँचलके परिवेश में जिंदगी की तमाम मुसीबतों को बयां करती दास्तां ...
0.0(0)
2 फ़ॉलोअर्स
4 किताबें
सूरज की लालिमा अब मद्धिम हो चली थी। वह अस्ताचल की गोद में विश्राम करने चला जा रहा था। गांव की उन कच्ची पगडंडियों पर लोग ही नहीं बल्कि पक्षी- पखेरू भी अपने -अपने बसेरे की ओर लौट रहे थे। चारों तरफ फैली